लिट्टे के अंतिम ठिकाने की ओर सेना बढ़ी, प्रभाकरन ने कहा लड़ेंगे (लीड-1)
सेना के कमांडर ब्रिगेडियर शेवेंद्र सिल्वा ने दो दिन पहले आत्मसमर्पण करने वाले लिट्टे के नेता दया मास्टर के बयान के हवाले से संवाददाताओं को बताया कि लिट्टे के कई शीर्ष नेता प्रभाकरन के साथ मुल्लाइतिवू में मौजूद हैं। दया लिट्टे का पूर्व प्रवक्ता है।
सिल्वा के मुताबिक दया ने शुक्रवार को सैन्य अधिकारियों को बताया कि प्रभाकरन ने सभी तमिल विद्रोहियों से कह रखा है कि वह अंतिम क्षण तक उनके साथ रहेगा। लिट्टे की समुद्री इकाई का प्रमुख सूसाई, खुफिया इकाई का प्रमुख पोट्ट अम्मान और सैन्य रणनीतिकार भानू इस वक्त प्रभाकरन के साथ हैं। उन्होंने बताया कि लिट्टे के खिलाफ संघर्ष में 15 सैनिक मारे गए और 75 घायल हो गए।
सेना के अधिकारियों ने यह भी कहा कि मानव रहित विमानों (यूएवी) से लिट्टे की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। साथ ही उन इलाकों पर विशेष चौकसी बरती जा रही है जहां प्रभाकरन के छुपे होने की आशंका है।
सेना के मुताबिक लिट्टे के कब्जे वाले इलाकों से अब तक लगभग 106,000 नागरिक बाहर निकाले जा चुके हैं। उनके अनुसार यह अभी नहीं पता है कि कितने नागरिक अभी भी तमिल विद्रोहियों के साथ फंसे हुए हैं।
इसी बीच, भारत के विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन श्रीलंका की मौजूदा हालत पर राष्ट्रपति मंहिदा राजपक्षे से चर्चा करने के लिए शुक्रवार को कोलंबो पहुंचे।
नारायणन और मेनन हवाई अड्डे से हेलीकाप्टर से राष्ट्रपति भवन पहुंचे। भारत लिट्टे और सेना के बीच जारी संघर्ष में फंसे तमिल नागरिकों को लेकर चिंतित है। इससे पहले विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था, "हम श्रीलंका में हो रही मौतों से नाखुश हैं। निर्दोष नागरिकों की हत्या बंद होनी चाहिए साथ ही सभी तरह की सैन्य कार्रवाई भी बंद होनी चाहिए।"
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी श्रीलंका की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए लिट्टे से हथियार डालने की अपील की है।
ब्रसेल्स में गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में मून ने कहा, "श्रीलंका की मौजूदा स्थिति को लेकर मैं चिंतित हूं। मैं एक बार फिर से लिट्टे से अपील करता हूं कि वह हथियार डाल दे और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए। संघर्ष में कई लोगों की मौत हो चुकी है। अब और नुकसान उठाया नहीं जा सकता।" उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जल्द ही श्रीलंका में मानवीय सहायता के लिए एक टीम भेजेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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