मुशर्रफ के कारण ही हुआ था कारगिल युद्ध : गौहर अयूब खान
खान ने 'टेस्टिंग टाइम्स ऐज फॉरेन मिनिस्टर' नामक किताब में कहा,"इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि यदि किसी अन्य को सेना प्रमुख नियुक्त किया गया होता तो कारगिल युद्ध न होता और नवाज शरीफ भी प्रधानमंत्री बने रहते।"
किताब में अयूब खान ने उन सभी घटनाओं का विवरण दिया है जिनके कारण जनरल जहांगीर करामात के अचानक इस्तीफा देने के बाद मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया गया था।
खान के अनुसार एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद स्थापित करने का सुझाव देने के कारण करामात को हटने को कहा गया। उनको हटाने के तरीके से सेना के अधिकारी नाखुश थे और संभव था कि भविष्य में इस प्रकार से सेना प्रमुख को हटाने की घटना को सहन नहीं करते।
नए सेना प्रमुख की नियुक्ति के लिए चयन के दौरान नवाज शरीफ को उनके नजदीकी लोगों ने सलाह दी कि जहांगीर करामात के बाद सबसे वरिष्ठ जनरल को नियुक्त करना जरूरी नहीं है और इसके लिए एक मुहाजिर को चुना गया।
इसके पीछे सोच यह थी कि जिन प्रांतों के लोगों की सेना में बहुतायत है वे किसी सैनिक विद्रोह के लिए मुहाजिर का समर्थन नहीं करेंगे।
खान के अनुसार शरीफ को सलाह देने वालों को यह पता ही नहीं था कि सेना कैसे काम करती है और इसका नतीजा 12 अक्टूबर 1999 की रक्तहीन क्रांति के रूप में सामने आया, जिसमें नवाज शरीफ को पद से हाथ धोना पड़ा था।
यह दूसरी बार था जब पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व गलत साबित हुआ था। इसके पहले प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने जनरल जिया उल हक को उनकी मुहाजिर पृष्ठभूमि के कारण सेना प्रमुख नियुक्त किया था। परंतु उनको भी पांच जुलाई 1977 को हुए विद्रोह में पद गंवाना पड़ा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।