श्रीलंका तत्काल संघर्षविराम घोषित करे : करुणानिधि (राउंडअप)

By Staff
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तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक के प्रमुख करुणानिधि ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक टेलीग्राम भेजकर श्रीलंका से संबंध तोड़ने की मांग की।

करुणानिधि ने अपने टेलीग्राम में केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी उस बयान की प्रशंसा की जिसमें कहा गया कि संघर्षविराम की अवधि बढ़ाई जाए जिससे युद्ध क्षेत्र में फंसे नागरिक सुरक्षित स्थानों पर जा सकें।

करुणानिधि ने कहा कि हम विदेश मंत्री के बयान का स्वागत करते हैं। अगर श्रीलंका सरकार भारत की अपील का सम्मान नहीं करता और संघर्षविराम की घोषणा नहीं करता तो हम भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि कूटनीतिक सहित सभी संबंध तोड़ लिए जाएं।

इससे पहले विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को जारी बयान में स्पष्ट किया कि श्रीलंका में नागरिकों का और हताहत होना भारत को 'कतई स्वीकार नहीं होगा।'

मुखर्जी ने कहा, "श्रीलंका सरकार और ज्यादा लोगों को हताहत होने से बचाने तथा वहां फंसे नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का मौका देने के लिए युद्धविराम की अवधि बढ़ाए।"

उन्होंने कहा, "सैन्य कार्रवाई लगातार जारी रहने की वजह से इस समय अब और ज्यादा नागरिकों का हताहत होना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं होगा।"

उन्होंने कहा, "वैसे यह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे)का दायित्व बनता है कि वह अपने कब्जे वाले इलाके से सभी नागरिकों तथा आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों (आईडीपी) को मुक्त करे लेकिन श्रीलंका सरकार भी सुरक्षित क्षेत्रों में फंसे लोगों की हालत और इस मानवीय त्रासदी से बेपरवाह नहीं रह रहती।" उन्होंने कहा कि सुरक्षित क्षेत्रों में युद्धविराम बरकरार नहीं रखने की कोई वजह नहीं है।

मुखर्जी ने कहा, "भारत श्रीलंका के मानवीय हालात से चिंतित है। वहां जारी संघर्ष की तमिल नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है और आईडीपी लोग इस संघर्ष की जद में आए हैं।"

श्रीलंका ने तमिल और सिंहली नववर्ष के अवसर पर इस सप्ताह 48 घंटे के अस्थायी युद्धविराम की घोषणा की थी ताकि नागरिकों को युद्ध क्षेत्रों से निकलने मौका मिल सके। बुधवार को उसने लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई फिर से शुरू कर दी।

मुखर्जी ने 40,000 परिवारों के लिए आवश्यक वस्तुओं की खेप भी भेजने की घोषणा की। भारत ने युद्धक्षेत्र में फंसे नागरिकों की मदद के लिए दवाइयां, खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुएं भेजी हैं। भारत की ओर से भेजी गई 62 सदस्यीय चिकित्सा इकाई ने 1500 से ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नागरिकों का इलाज किया है।

इससे पहले गुरुवार को चार तमिल सांसदों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था वह युद्ध क्षेत्रों में फंसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए श्रीलंका सरकार पर सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए दबाव बनाए।

विदेश मंत्री के बयान का तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) ने स्वागत किया है। टीएनए नेताओं ने पिछले दो दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन और विदेश सचिव शिवशंकर मेनन से मिलकर कहा था कि इस मुद्दे पर भारत द्वारा त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है।

हजारों तमिल नागरिक लिट्टे के कब्जे वाले मुल्लइतिवु में फंसे हुए हैं। इनकी संख्या 80 हजार से ढाई लाख तक बताई जा रही है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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