श्रीलंका सरकार युद्धविराम बढ़ाकर नागरिकों को सुरक्षित निकाले : भारत (लीड-1)
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को जारी बयान में यह भी स्पष्ट किया कि श्रीलंका में और नागरिकों का हताहत होना भारत को 'कतई स्वीकार नहीं होगा'।
मुखर्जी ने कहा, "श्रीलंका सरकार और ज्यादा लोगों को हताहत होने से बचाने तथा वहां फंसे नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का मौका देने के लिए युद्धविराम की अवधि बढ़ाए।"
उन्होंने कहा, "सैन्य कार्रवाई लगातार जारी रहने की वजह से इस समय अब और ज्यादा नागरिकों का हताहत होना बिल्कुल मंजूर नहीं होगा।"
उन्होंने कहा, "वैसे यह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे)का दायित्व बनता है कि वह अपने कब्जे वाले इलाके से सभी नागरिकों तथा आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों (आईडीपी)को मुक्त करे लेकिन श्रीलंका सरकार भी सुरक्षित क्षेत्रों में फंसे लोगों की हालत और इस मानवीय त्रासदी से बेपरवाह नहीं रह रहती।" उन्होंने कहा कि सुरक्षित क्षेत्रों में युद्धविराम बरकरार नहीं रखने की कोई वजह नहीं है।
मुखर्जी ने कहा, "भारत श्रीलंका के मानवीय हालात से बुरी तरह चिंतित है। वहां जारी संघर्ष की तमिल नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है और आईडीपी लोग इस संघर्ष की जद में आए हैं।"
श्रीलंका ने तमिल और सिंहली नववर्ष के अवसर पर इस सप्ताह 48 घंटे के अस्थायी युद्धविराम की घोषणा की थी ताकि नागरिकों को युद्ध क्षेत्रों से निकलने मौका मिल सके। बुधवार को उसने लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई फिर से शुरू कर दी।
मुखर्जी ने 40,000 परिवारों के लिए आवश्यक वस्तुओं की खेप भी भेजने की घोषणा की। भारत ने युद्धक्षेत्र में फंसे नागरिकों की मदद के लिए दवाइयां, खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुएं भेजी हैं।भारत की ओर से भेजी गई 62 सदस्यीय चिकित्सा इकाई ने 1500 से ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नागरिकों का इलाज किया है।
इससे पहले गुरुवार को चार तमिल सांसदों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था वह युद्ध क्षेत्रों में फंसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए श्रीलंका सरकार पर सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए दबाव बनाए।
हजारों तमिल नागरिक लिट्टे के कब्जे वाले मुल्लइतिवु में फंसे हुए हैं। कुछ लोग ऐसे लोगों की तादाद 100,000 से ज्यादा बताते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*