पाकिस्तानी अखबार का सवाल : स्वात पर संसद का निर्णय कितना सही?
समाचार पत्र द न्यूज ने 'कलेक्टिव विज्डम' (सामूहिक बुद्धिमानी) नामक शीर्षक वाले अपने संपादकीय में पूछा है, "क्या बहुमत हमेशा सही होता है? क्या इस मामले में बुद्धिमानी के साथ काम लिया गया है? या बुद्धिमानी और समझदारी के साथ सोचने की क्षमता पर सामूहिक बुद्धिमानी और भय हावी हो गया है।"
संपादकीय में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति इस बात के लिए तैयार नहीं दिखाई देता कि समझौते में व्याप्त धार्मिक आडंबर को मिटा दिया जाए। तालिबान बड़ी चालाकी के साथ उसे अपने को पवित्र साबित करने के लिए इस्तेमाल करता रहा है।
संपादकीय में कहा गया है, "खासतौर से दिवंगत जनरल जिया उल हक के समय से कई सारे अवसरों पर इस तरह के सुपरिचित हथकंडे को अपनाया गया है।"
ज्ञात हो कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार को देर रात स्वात सहित उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) में मालकंद डिविजन के सात जिलों में शरिया कानून लागू करने के समझौते पर हस्ताक्षर कर उसे अपनी अंतिम मंजूरी दे दी थी। इसके पहले नेशनल एसेंबली ने बहुमत के साथ इस समझौते को अपनी मंजूरी दे दी गई थी। इस समझौते को लागू करने के बदले क्षेत्र में तालिबान आतंकियों को हथियार डालना थे। लेकिन मंगलवार को देर रात तालिबान प्रवक्ता ने हथियार डालने से साफ इंकार कर दिया था।
संपादकीय में सवाल किया गया है, "क्या यह कदम आतंकवाद से निपटने में कोई मदद कर पाएगा या यह उन अराजक तत्वों को और प्रोत्साहित करेगा?"
संपादकीय में आगे लिखा गया है, "चरमवादियों का विस्तार जारी है। इस प्रकिया का अंत क्या होगा? यह हमें कहा लेकर जाएगा?"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।