तालिबान का स्वात घाटी में हथियार डालने से इंकार (लीड-1)
तालिबान प्रवक्ता मुस्लिम खान ने जियो टीवी के कैपिटल टाक शो में कहा, "मेरे भाई, हमारे पास मात्र पारंपरिक हथियार हैं और इस्लामिक शरिया कानून ऐसे हथियारों को रखने की इजाजत देता है। न्याय का दिन आने तक इस्लामिक जिहाद जारी रहेगा।"
खान का बयान ऐसे समय में आया है, जब सोमवार की देर रात राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने स्वात घाटी सहित मालकंद क्षेत्र के सात जिलों में इस्लामी कानून लागू किए जाने के लिए किए गए एक विवादित समझौते पर हस्ताक्षर कर उसे अंतिम मंजूरी दे दी थी। इसके पहले इस समझौते पर नेशनल एसेंबली ने भी अपनी मुहर लगा दी थी।
हालांकि तालिबान प्रवक्ता खान ने इस्लामी शरिया कानून लागू किए जाने का स्वागत किया है।
इसके पहले इस्लामी शरिया कानून को लागू करने की मंजूरी दे दिए जाने के बाद तालिबान समर्थक मौलाना सूफी मोहम्मद ने स्वात घाटी में शांति की अपील की थी।
उर्दू चैनल 'आज' ने मोहम्मद के हवाले से मंगलवार को कहा था, "अब हम स्वात में पूर्ण शांति की गारंटी देते हैं।"
ज्ञात हो कि मौलाना सूफी मोहम्मद ने उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत सरकार व स्थानीय तालिबान नेता मौलाना फजलुल्लाह के बीच 16 फरवरी को एक शांति समझौते में मध्यस्थता की थी।
तालिबान आतंकियों ने भरोसा दिलाया था कि क्षेत्र में शरिया कानून लागू हो जाने के बाद वे हथियार डाल देंगे। मोहम्मद ने आतंकवाद की समाप्ति के लिए स्वात के मिंगोरा कस्बे में एक शांति शिविर की स्थापना भी कर दी थी।
मोहम्मद ने तालिबान समूहों से मंगलवार को कहा था कि वे अब अपने हथियार डाल दें और इस्लामिक न्याय प्रणाली की स्थापना में मदद करें।
लेकिन पर्यवेक्षकों ने कहा था कि मोहम्मद का उन कट्टर तालिबानियों पर उतना प्रभाव नहीं है, जो पूरे क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।