नवादा संसदीय क्षेत्र में 62 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे
नवादा में करीब 24 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग हैं। यहां साक्षरता की दर लगभग 46 प्रतिशत है। लगभग 62 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारने को विवश है। इस संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 14 लाख है।
नवादा वर्ष 1845 में अनुमंडल बना तथा 26 जनवरी 1973 को इसे जिला का दर्जा मिला। आठवीं सदी में पाल शासकों के आधिपत्य वाले इस क्षेत्र की चर्चा महाभारत काल में भी आती है। कहा जाता है कि पांडवों ने जरासंध की जन्मस्थली तपोवन के पास पाकारदिया गांव का दौरा किया था, जो नवादा जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर है।
नवादा संसदीय क्षेत्र में बरबीघा, रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविन्दपुर तथा वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस संसदीय क्षेत्र में पहले गया जिले का अतरी तथा फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल था। परंतु इन दोनों क्षेत्रों को हटाकर शेखपुरा जिले के बरबीघा को जोड़ दिया गया है। पूर्व में जहां नवादा संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र थे, वही अब इस क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र रह गए हैं।
वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वीरचंद पासवान ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संजय पासवान को 56,006 मतों से पराजित किया था।
नवादा संसदीय क्षेत्र से वर्ष 1980 तथा 1984 में कांग्रेस विजयी हुई थी तो 1989 और 1991 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार ने बाजी मारी थी। वर्ष 1996 में भाजपा के प्रत्याशी ने चुनाव जीता था तो 1998 में राजद प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज कराई थी। वर्ष 1999 तथा 2004 में भी राजद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई थी।
नवादा के वारिसलीगंज के लोगों के लिए 1993 से बंद पड़ी चीनी मिल का दुख सालता है तो नवादा के किसानों को सकरी नदी पर नहर का कार्य पूरा नहीं होने का गम है।
मंझला पंचायत के बलुआही गांव के किसान रामगोविन्द प्रसाद बताते हैं कि नहर निर्माण कार्य का शिलान्यास वर्ष 1964-65 में किया गया था। उस समय काम प्रारंभ भी हुआ, परंतु नहर आज तक पूरी नहीं हो पाई।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने सांसद सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को यहां से टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने भोला सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस ने पूर्व कांग्रेसी नेता राजो सिंह की बहू सुनीला देवी को, तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव गणेश शंकर विद्यार्थी को टिकट दिया है। इसके अलावा क्षेत्र में अपनी पहचान रखने वाले दो निर्दलीय प्रत्याशी राजवल्लभ यादव तथा गोविन्दपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक कौशल यादव भी चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं।
मतदाताओं के बीच बाहरी उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा है। उल्लेखनीय है कि वीणा देवी जहां मोकामा की हैं वहीं भोला सिंह तथा सुनीला देवी बेगूसराय से हैं। राजवल्लभ और कौशल नवादा के ही रहने वाले हैं।
लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी का कहना है कि वह बिजली की नियमित आपूर्ति तथा बंद चीनी मिल को खुलवाने का प्रयास करेंगी। कृषि क्षेत्र की समस्याओं का स्थायी समाधान ढ़ूढ़ेंगी।
कांग्रेस प्रत्याशी सुनीला देवी ने बताया कि वे कोई वादा नही करेंगी और पार्टी सिद्घांतों के तहत कार्य करेंगी।
इधर, राजनीति के जानकार सैवाल गुप्ता कहते हैं कि नवादा कि स्थिति सिवान से अलग नहीं है। उनका मानना है कि यहां के लोग अब तक तय नहीं कर पाए हैं कि वे किसी सजायाफ्ता मुजरिम की पत्नी को संसद पहुंचाते हैं, या किसी अन्य उम्मीदवार को। उनका दावा है कि क्षेत्रीय विकास तो मुद्दा होगा ही परंतु यहां के लोग व्यक्तिगत पहचान और जातीय समीकरण को भी तरजीह देते हैं।
गौरतलब है कि नवादा संसदीय क्षेत्र में 16 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। यहां से कुल 21 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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