गर्भ में स्वप्निल नींद में होता है भ्रूण
यह शोध अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स में विशेषांक में प्रकाशित हुआ है।
आंखों की हलचल भ्रूण के विकास के सातवें महीने में उजागर होती है। विकसित हो रहे भ्रूर्ण का मस्तिष्क सामान्य निद्रा (आरईएम)के दौरान 20 से 40 मिनट में वैकल्पिक रूप से प्रकट होता है। इस दौरान मस्तिष्क की हलचल चेतन अवस्था और गैर आरईएम निद्रा के विपरीत होती है। इस समय मस्तिष्क आराम करता है।
मानव भ्रूण के मस्तिष्क की गतिविधियों का सीधे आकलन नामुमकिन है। हम यही जानते हैं कि हमारी सोने की शुरुआती आदतें ज्यादातर आंखों की हलचल से पता चलती हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के मस्तिष्क की गतिविधियां ईईजी के माध्यम से मापने की कोशिश की है।
गणितज्ञ केरिन श्वैब के अनुसार यह तरीके तकनीकी रूप से जटिल हैं और इनमें चूक होने की आशंका भी है। इसलिए भ्रूण के मस्तिष्क के विकास का अध्ययन करने वाले स्नायु विशेषज्ञ यह नहीं जान सकते कि यह निद्रा चक्र एक दिन का होता या यह मस्तिष्क की गतिविधियों के आधार पर धीरे-धीरे आकार लेता है।
जर्मनी के जेना स्थित फ्रेडरिक शिलर यूनिवर्सिटी से संबद्ध श्वैब ने भेड़ के मस्तिष्क के आधार पर अध्ययन किया। भेड़ के भ्रूर्ण का आकार और वजन भी मानव भ्रूण जितना ही होता है। उन्होंने भेड़ के 106 दिन के भ्रूण की इलेक्ट्रिकल गतिविधियों को सीधे दर्ज किया। विकास की अंतिम अवस्थाओं में निद्रा की पद्धति हर पांच से 10 मिनट में बीच घटती-बढ़ती रहती है और भ्रूण के विकास के साथ इसमें धीरे-धीरे बदलाव आता है।
इन चक्रों के दौरान भ्रूण को होने वाले अनुभव को जानना मुश्किल है। श्वैब के अनुसार निद्रा सिर्फ आराम फरमाते मस्तिष्क से ही नहीं अचानक नहीं उमड़ती। निद्रा और निद्रा की अवस्था में बदलाव एक सक्रिय नियमित प्रक्रिया है।
मस्तिष्क के विकास की बेहतर समझ भविष्य में होने वाली स्नायु संबंधी बीमारियों का संकेत दे सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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