कमलनाथ के क्षेत्र में 31 गांवों के लोगों का चुनाव बहिष्कार का एलान
पेंच नदी पर बनने वाले माचागोरा बांध के लिए लगभग दो दशक से कवायद जारी है। इस बांध के बनने से कई गांव के डूब में आने की आशंका है। इन गांव में रहने वाले लोगों को यह पता ही नहीं है कि उनकी कितनी जमीन डूब क्षेत्र में आने वाली है और उन्हें सरकार की ओर से कितना मुआवजा मिलेगा। लंबे अरसे से किसान पसोपेश में हैं और उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। इसी से परेशान होकर 31 गांव के लोगों ने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने का निर्णय लिया है।
किसान संघर्ष समिति के संयोजक सुनीलम ने आईएएनएस को बताया कि छिंदवाड़ा जिले के किसानों का अनुभव अच्छा नहीं है। पूर्व में भी थर्मलपावर स्टेशन स्थापित करने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था मगर किसानों को न तो पर्याप्त मुआवजा मिला और न ही वह योजना पूरी हो सकी जिसके लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, इसीलिए गांव वाले अपने विरोध का इजहार कर रहे हैं।
छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के हिवरखेडी, मडवाढाना, देवरंधा, बिलवा, जम्होडीपंडा, मोहगांव, खेरी लड्डू, ककई, महेन्द्रवाडा, केवलारी, मोवार, देवरीकला, कलकोटी, काराघाट, नेर, जमुनियां, नगझिर, राजाखोह सहित 31 ऐसे गांव हैं जहां के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का एलान कर दिया है। इन गांव में जगह जगह बैनर और पोस्टर लगे हुए हैं जिनमें साफ तौर पर नेताओं के प्रवेश को निषेध किया गया है।
छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से उद्योग मंत्री कमलनाथ के चुनाव लड़ने के कारण हाई प्रोफाइल क्षेत्रों में गिना जाता है। इस क्षेत्र में माचागोरा बांध के लिए कांग्रेस के शासन काल में 1985 में भूमिपूजन हुआ था। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 में एक कार्यक्रम करके इस बांध को बनाने की शुरुआत का दोबार एलान किया था। ग्रामीणों में सत्ता में रहे इन दोनों ही दलों के खिलाफ गुस्सा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।