'नागरिकों की हिफाजत के लिए श्रीलंका लड़ाई रोके' (लीड-1)
इस बीच श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा बलों ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के आखिरी गढ़ पर कब्जा करने के बाद सरकार द्वारा घोषित सुरक्षित क्षेत्रों में फंसे हजारों नागरिकों को बचाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा राहत अभियान शुरू कर दिया है।
अमेरिका, नार्वे, जापान और यूरोपीय संघ ने इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद श्रीलंका से लड़ाई रोकने का आह्वान किया है। इस विचार-विमर्श बैठक में अमेरिका की ओर से दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के विदेश उप मंत्री रिचर्ड बाउचर ने हिस्सा लिया।
अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी बयान में विदेश विभाग के प्रवक्ता रॉबर्ट वुड के हवाले से कहा गया है,"दानदाता देशों ने तमिल विद्रोहियों से नागरिकों को आवागमन की छूट देने का अनुरोध किया है। उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि श्रीलंका सरकार और विद्रोहियों को सुरक्षित क्षेत्रों का सम्मान करना चाहिए और वहां फंसे नागरिकों की हिफाजत करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि आर्थिक मदद देने वाले देशों ने सुरक्षित क्षेत्रों में गोलाबारी बंद करने की जरूरत पर भी जोर दिया ताकि वहां भोजन, पानी और दवाओं की आपूर्ति निर्बाध ढंग से हो सके।
बयान में कहा गया है कि आर्थिक मदद देने वाले राष्ट्रों ने इस संघर्ष को खत्म कराने के तरीकों पर विचार विमर्श किया ताकि और खून खराब रुकवाया जा सके।
अभी कुछ दिन पहले ही श्रीलंका के दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने कहा था 14 किलोमीटर के सुरक्षित क्षेत्र में एक लाख से भी ज्यादा लोग फंसे हुए हैं।
लिट्टे को बड़ा नुकसान पहुंचाते हुए सुरक्षा बलों ने रविवार को उसके कब्जे वाले आखिरी इलाके पुथुक्कु डियिरुप्पू पर नियंत्रण स्थापित कर दिया था।
उधर श्रीलंका के रक्ष मंत्रालय के बयान के अनुसार सुरक्षा बलों ने उत्तरी हिस्से में करीब 12 किलोमीटर के दायरे में मौजूद विद्रोहियों के सभी ठिकानों को तहस-नहस कर दिया है और अब दक्षिणी हिस्से में तलाशी अभियान जारी है।
बयान के अनुसार, "नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सुरक्षा बलों ने उन तक पहुंचने के बेहतर रास्ते ढूंढ निकाले हैं और वहां बचाव केंद्र बना दिए हैं। इनमें से कुछ बचाव केंद्र लिट्टे के ठिकानों से महज 150 मीटर से भी कम दूरी पर हैं।"
सुरक्षा बल विद्रोहियों के अवरोधक दूर करने के साथ-साथ नागरिकों को लगातार इन सुरक्षित मार्गो की जानकारी दे रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।