कांग्रेस ने की टाइटलर और सज्जन की उम्मीदवारी निरस्त (राउंडअप)

By Staff
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कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की, "कांग्रेस ने अपनी परम्परा का पालन करते हुए तय किया है कि जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे।" उन्होंने कहा कि लोगों के मन में किसी तरह का भ्रम न हो इसलिए नेतृत्व ने यह निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने चुनाव न लड़ने की अपनी मंशा से कांग्रेस नेतृत्व को अवगत करा दिया था। दोनों ने कहा था कि उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

द्विवेदी ने कहा, "नए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।" गौरतलब है कि इससे पूर्व पार्टी ने इन दोनों नेताओं-सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर- को दिल्ली के दो लोकसभा क्षेत्रों से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया था।

टाइटलर ने दिन में ही संवाददाताओं से बातचीत में स्पष्ट कर दिया था कि उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के बारे में फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है।

इससे पहले, सिखों के विरोध प्रदर्शन के बीच यहां की एक अदालत ने टाइटलर के मामले की सुनवाई 28 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने टाइटलर को क्लीन चिट देते हुए पिछले सप्ताह मामला बंद करने के लिए अदालत में रिपोर्ट दाखिल की थी।

सीबीआई ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश पंडित से अनुरोध किया कि उनकी अदालत के पास इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह हत्या से जुड़ा मामला है। हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में ही हो सकती है।

न्यायालय ने इस वर्ष के आरंभ में अमेरिका में सीबीआई द्वारा लिए गए दो गवाहों के बयानों की वीडियो सीडी की मांग की और मुकदमे की सुनवाई 28-29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायाधीश ने कहा कि मामले पर कोई फैसला देने से पहले वह दोनों पक्षों की दलीलें सुनेंगे।

इधर, सीबीआई द्वारा टाइटलर को क्लीन चिट दिए जाने से नाराज सिखों ने कड़कड़डूमा अदालत परिसर के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में महिलाएं एवं बुजुर्ग भी शामिल थे।

पुलिस प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास कर रही थी इसी बीच एक महिला बैरिकेड पर चढ़कर अदालत परिसर में प्रवेश कर गई।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "टाइटलर को आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए और यदि अदालत उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाती है तो उन्हें फांसी मिलनी चाहिए। हम न्याय चाहते हैं। "

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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