आतंकवादी हमलों से मिली बम निरोधक रोबोट बनाने की सीख
भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के छात्र विनीत चौहान, प्रियंका जैन और आकांक्षा साहू बीते साल रोबोट का मॉडल बना रहे थे तभी मुंबई में आतंकी हमला हुआ तथा गुजरात में सिलसिलेवार बम धमाके हुए। इन आतंकवादी गतिविधियों ने छात्रों को बम निरोधक रोबोट बनाने की प्रेरणा दे डाली।
इन छात्रों ने कोशिश की और उनकी यह कोशिश रंग लाई तथा उन्होंने स्वाम आधारित रोबोट का मॉडल बना डाला। इस रोबोट को आईआईटी रूड़की ने 'इनोवेशन ऑफ द ईयर' के पुरस्कार से नवाजा है।
रोबोट का मॉडल बनाने वाले दल के मार्गदर्शक अमित बघेल बताते हैं कि यह ऐसा रोबोट है जो छोटे छोटे रोबोट के सहारे बम की खोज करता है। यह रोबोट उन भीड़भाड़ वाले इलाके के लिए काफी अहम है जहां रखे गए बम को खोजना आसान नहीं होता और बम को खोजने की कोशिश में जान को खतरा बना रहता है।
स्वाम रोबोट में मेटल डिटेक्टर लगा होता है जो बम की खोज कर मुख्य यंत्र (मदर सिस्टम) के कंप्यूटर तक सूचना पहुंचा देता है। इतना ही नहीं इसमें लगा वायर कटर बम को नष्ट भी कर सकता है। इसके अलावा इस रोबोट में हाई प्रेशर वाटर जैट तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है जो आंतरिक सर्किट को खत्म कर सकता है।
छात्र विनीत चौहान बताते हैं कि चीटियों में होने वाली एकजुटता ने उनके लिए छोटे-छोटे रोबोट के संचालन में आने वाली बाधा को दूर करने में मार्गदर्शक का काम किया है। जिस तरह चीटियां आपस में मिलकर दो स्थानों को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कर बाधा खत्म कर लेती हैं। ठीक उसी तरह छोटे-छोटे रोबोट बम खोजने में आने वाली बाधा को एकजुट होकर पार कर जाते हैं।
मुख्य रोबोट के कंप्यूटर तक छोटे रोबोट के जरिए संदेश पहुंचता है और मुख्य रोबोट अपनी आर्म (भुजा) के सहारे वायर कटर से तारों को काटकर बम को निष्क्रिय कर सकता है। हाई प्रेशर वाटर जैट तकनीक से पानी की तेज धार से बम के तारों के सर्किट को खराब कर निस्तेज करने में सक्षम है। इतना ही नहीं अगर बम फट भी जाता है तो उससे इंसानी जिंदगी का नुकसान नहीं होगा।
आकांक्षा और प्रियंका बताती हैं कि यह मॉडल 25 हजार रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है। अगर लागत बढ़ा दी जाए तो वे और प्रभावकारी तथा गतिशील स्वाम आधारित बम निरोधक रोबोट का निर्माण कर सकतीं हैं। इस मॉडल को आईआईटी रूड़की में खासी सराहना मिली है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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