पूर्वोत्तर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून मुख्य चुनावी मुद्दा
अगरतला, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। पूर्वोत्तर में लोकसभा चुनाव के दौरान सशस्त्र बल (विशेषाधिकार)अधिनियम 1958 (एएफएसपीए) एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है और इसको समाप्त करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
वर्तमान समय में एएफएसपीए मणिपुर,त्रिपुरा,असम और नागालैंड राज्यों के बड़े हिस्सों और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ इलाकों में लागू है। इससे आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में सशस्त्र बलों को संदिग्ध आतंकवादियों से निपटने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों विशेषकर मणिपुर में क्षेत्रीय पार्टियां, नागरिक अधिकार संगठन, स्वंयसेवी संगठन और छात्र संगठन कई वर्षो से इस कानून को समाप्त करने की मांग करते रहे हैं। उनका कहना है कि सुरक्षा बल द्वारा इस अधिकार का दुरुपयोग करते हैं।
मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) के विधायक राज कुमार आनंद का कहना है कि वह चुनाव प्रचार में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को छोड़ नहीं सकते क्योंकि यह मूल मानवाधिकारों से जुड़ा मुद्दा है।
पिछले सप्ताह राजधानी इंफाल में आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस और अन्य दल इस महत्वपूर्ण मामले पर राजनीतिक खेल कर रहे हैं और वे अभी भी इस कठोर कानून को हटाने के बारे में गंभीर नहीं हैं।
एएफएसपी को हटाने की मांग पिछले कुछ चुनावों से एमपीपी के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा रही है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली मणिपुर की धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील मोर्चा (एसपीएफ) सरकार इस मुद्दे पर सतर्कता बरत रही है लेकिन गठबंधन की सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)कानून के खिलाफ मुखर है।
भाकपा नेता और मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री पी.पारिजात सिंह ने आईएएनएस से कहा कि पूर्वोत्तर भारत के बहुसंख्यक लोग खासकर महिलाएं एएफएसपीए के खिलाफ हैं। केंद्र को इस मामले पर एक बार फिर विचार करना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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