नेपाल में शाही हत्याकांड मामले में नया मोड़
काठमांडू, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। युवराज दीपेंद्र के नेपाल के राजा बीरेंद्र तथा महारानी की हत्या के बारे में एक वर्ष पहले से ही विचार करने के पूर्व युवराज पारस के दावे ने 'शाही महल हत्याकांड' मामले में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।
अब एक पूर्व शाही सहायक सौजन्य कुमार सुल्या जोशी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसे इसी कहानी को प्रचारित नहीं करने के कारण सेवा मुक्त कर दिया गया।
जोशी जून 2001 तक युवराज दीपेंद्र के निजी सचिव थे, जब नेपाल के लोकप्रिय राजा बीरेंद्र और महारानी एश्वर्या की सात रिश्तेदारों के साथ हत्या कर दी गई।
महल के अधिकारियों ने इसके लिए युवराज दीपेंद्र को दोषी ठहराया जिसने शराब और मादक पदार्थो के नशे में परिवार का सफाया करने के बाद आत्महत्या कर ली।
इस कहानी को अधिकांश नेपाली स्वीकार नहीं करते और उनका मानना है कि बीरेंद्र की हत्या के पीछे उनके भाई और बाद में राजा बने ज्ञानेंद्र का हाथ है।
शाही महल हत्याकांड के गड़े मुर्दे इस महीने से फिर उखाड़े जाने लगे, जब सिंगापुर में रह रहे पूर्व युवराज पारस ने एक टेबलायड अखबार से कहा कि दीपेंद्र के पास अपने पिता की हत्या करने के कई कारण थे।
उसने कहा कि दीपेंद्र अपनी प्रेमिका से विवाह की अनुमति नहीं देने और हथियार सौदे को लेकर राजा बीरेंद्र से नाराज था। उसे यह भी आशंका थी कि राजा कहीं निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार को पूरी सत्ता न सौंप दें।
जोशी (59 वर्ष) ने साप्ताहिक अखबार 'जन आस्था' से कहा कि पारस के आरोपों का युवराज दीपेंद्र के व्यवहार से मेल नहीं बैठता। दीपेंद्र नेपाल खेल परिषद का संरक्षक था और हत्याकांड के एक दिन पहले वह वार्षिक राष्ट्रीय खेलों की योजना बनाने में शामिल था।
जोशी ने कहा कि हत्याकांड के बाद महल के अधिकारियों ने उन पर हत्याकांड के पीछे दीपेंद्र का हाथ बताने के लिए दबाव डाला। उन्होंने कहा कि घटना के तुरंत बाद युवराज का सचिवालय बंद करना और उसकी दिनचर्या को करीब से जानने वाले सात लोगों को बर्खास्त करने से राजा ज्ञानेंद्र की मंशा पर संदेह होता है।
माओवादी सरकार के शाही हत्याकांड की नए सिरे से जांच और वास्तविक अपराधियों को दंड देने के वादे के बाद से इस संबध में नई अटकलें लगनी आरंभ हुईं हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।