पंक्चर लगाकर गुजारा करते हैं बिहार की पहली विधानसभा के एक विधायक

By Staff
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पटना, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। राजनीतिज्ञों के बारे में आम धारणा है कि कहा जाता है कि वे धन उपार्जन करने के लिए ही सांसद और विधायक बनते हैं। लोकसभा चुनाव के दौर में जहां एक ओर नेता गण करोड़ों रुपये की संपत्ति का ब्योरा पेश कर रहे हैं वहीं झारखंड में एक ऐसे पूर्व विधायक भी हैं जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए पंक्चर बनाते हैं।

झारखंड के देवघर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर दासडीह गांव में अपने घर में ही साइकिल के पंक्चर बनाने की दुकान चलाने वाले पूर्व विधायक गोकुल महरा का कहना है कि पहले नेतागिरी इज्जत के लिए की जाती थी तथा इसका मूल लोगों की सेवा करना था परंतु अब सबकुछ उल्टा हो गया है।

महरा वर्ष 1952 से 1957 तक बिहार की पहली विधान सभा के सदस्य रहे। इन्होंने सारठ विधानसभा क्षेत्र से झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे। उन्होंने बताया कि उस समय मधुपुर विधानसभा क्षेत्र भी सारठ विधानसभा के अंतर्गत ही आता था।

अलग झारखंड के लिए आंदोलन के सूत्रधार जयपाल सिंह तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के साथ काम करने वाले महरा ने बताया कि उन्हें दुकान चलाने का कोई दुख नहीं परंतु उन्हें इसका सबसे ज्यादा दुख है कि वर्ष 1942 में हुए स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दुमका तथा देवघर जेल में महीनों गुजारने के बावजूद अब तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया।

80 वर्षीय महरा का कहना है कि पूर्व विधायक की पेंशन उन्हें मिलता जरूर है परंतु बड़े परिवार के पेट भरने के लिए वह राशि पर्याप्त नहीं है।

दुकान में उनका हाथ बंटाने वाले बेटे सदानंद महरा का कहना है कि रोजगार के लिए उन्होंने काफी प्रयास किए लेकिन कहीं रोजगार नहीं मिला। थक-हार कर पिता के दुकान में ही उनके काम में हाथ बंटाते हैं।

महरा के परिवार में पत्नी समेत तीन पुत्र व दो पुत्रियां हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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