भारत ने विकासशील देशों के लिए जी-20 समझौता कराने में मदद की (राउंडअप)

By Staff
Google Oneindia News

शिखर बैठक में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों को अंतिम घोषणापत्र में शामिल किए जाने से संतुष्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि संगठन वैश्विक परिदृश्य में अधिक सशक्त आवाज बनकर उभर सकता है।

सिंह ने कहा, "मैं इस बात से खुश था कि मेरे विचारों को व्यापक रूप से स्वीकारा गया और लोगों ने उसका समर्थन किया।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "हम दुनिया के विकासशील देशों के लिए बड़े संसाधनों के पक्ष में सहमत हुए हैं, क्योंकि विकासशील देश इस संकट के लिए जिम्मेदार न होते हुए भी इसका बुरी तरह शिकार हुए हैं।"

उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के जरिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1.1 खरब डॉलर की भारी राशि डालने के दुनिया के नेताओं के संकल्प के साथ ही गुरुवार को शिखर सम्मेलन का समापन हो गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर जी-20 दुनिया के प्रमुख मुद्दों के बारे में विश्वसनीय उत्तर दे सकता है तो यह निश्चित रूप से अपनी जगह बनाने में सफल होगा।" उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस के साथ भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सदस्यता होने के कारण यह संगठन अपने आप में विविधता समेटे हुए है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर यह संगठन आपसी सहयोग के साथ वैश्विक समस्याओं से निपटने में कामयाब होता है तो इसे भी औद्योगिक देशों के समूह जी-8 की तरह सम्मानित दर्जा मिल सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 20 देशों की समिति का अनोखा संगठन है। उन्होंने कहा कि बैठक में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इन मुद्दों में वित्तीय तंत्र की कड़ी निगरानी, विकासशील देशों को धन उपलब्ध कराना और वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों पर से संरक्षणवादी उपायों को वापस लेने जैसे मुद्दे शामिल थे।

उधर बैठक के बाद आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में ओबामा ने कहा, "जी-20 ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधार की दिशा में असाधारण प्रगति की है।" उन्होंने कहा कि जी-20 असफल हो चुकी वित्तीय व्यवस्था में सुधार की दिशा में काम करेगा।

बैठक के दौरान जारी एक घोषणापत्र में जी-20 के नेताओं ने संरक्षणवाद का मुकाबला करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। वक्तव्य में कहा गया कि कारोबार और निवेश पर पड़ने वाले किसी भी नकारात्मक असर से बचा जाएगा और वित्तीय क्षेत्र की हर संभव मदद की जाएगी।

स्पेन के प्रधानमंत्री जोस लुइस रोड्रिग्ज जापाटेरो ने कहा है कि गुरुवार को जी-20 देशों की शिखर बैठक में हुआ समझौता वैश्विक मंदी से निपटने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास उत्पन्न करेगा।

समाचार एजेंसी ईएफई के मुताबिक शिखर बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि स्पेन गरीब और विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा बनाए जा रहे 750 अरब डॉलर के विशेष कोष के लिए चार अरब यूरो की सहायता करेगा।

जापाटेरो ने कहा कि जी-20 बैठक में सदस्यों द्वारा दिखाई गई एकता से विश्वास का वातावरण तैयार हुआ है और वर्ष 2009 की दूसरी छमाही तक मंदी से छुटकारा पाया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि जी-20 के सदस्य देशों ने शिखर बैठक के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 10 खरब डॉलर से अधिक की मदद देने पर सहमति जताई।

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनाशियो लुला डा सिल्वा ने गुरुवार को जी-20 देशों की शिखर बैठक में हुए समझौते को ऐतिहासिक करार दिया है।

लुला ने शिखर बैठक के बाद आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस बैठक की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमीर और गरीब राष्ट्र एक साथ बैठे और उन्होंने बराबरी के स्तर पर अपने विचारों को साझा किया।

लुला ने कहा, "यह पहली बैठक थी जहां हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया गया जैसे कि हम कुछ न जानते हों।" उन्होंने कहा कि जी-20 के नेता पूंजी का प्रबंध करने और सकारात्मक निवेश को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय तंत्र के विनिमय पर राजी हो गए।

उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि जी-20 ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को निर्देश दिए हैं कि वह डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करते हुए संरक्षणवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के नाम उजागर करें।

लुला ने कहा कि यह यूरोपीय देशों और अमेरिका के संरक्षणवादी रवैए के खिलाफ पहला महत्वपूर्ण कदम है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X