पवार टटोल रहे हैं नए मोर्चे की संभावना! (लीड-1)
इसके अलावा पवार ने फोन पर रैली को संबोधित कर इन कयासों को जन्म दे दिया कि कहीं वह एक अलग मोर्चे की संभावना तो नहीं टटोल रहे हैं!
कांग्रेस ने एक दिन पहले कहा था कि अच्छा होगा कि पवार विरोधियों के मंच पर उपस्थित न हों, शायद इसीलिए उन्होंने फोन के जरिए रैली को संबोधित करने का रास्ता चुना।
पवार ने फोन पर अपनी बात समाप्त करने के पहले कहा भी, "मैं रैली को वहां आकर संबोधित करना चाहता था, लेकिन विमान में एक तकनीकी गड़बड़ी आ जाने के बाद ऐसा न कर सका।"
मुख्यमंत्री बीजू पटनायक ने रैली में आए 10,000 से अधिक लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस और सांप्रदायिक ताकतों के साथ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
पटनायक ने कहा, "उड़ीसा एक शांतिप्रिय राज्य है लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी संगठन सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करना चाहते हैं। उड़ीसा की जनता भाजपा को उसकी सांप्रदायिक राजनीति का मुंहतोड़ जवाब देगी।"
इस अवसर पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) महासचिव ए.बी.बर्धन और डी.राजा ने सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए पटनायक द्वारा उठाए गए सख्त कदम के लिए उनकी तारीफ की।
रैली में पवार की अनुपस्थिति को लेकर यह कयास लगाया जाने लगा था कि कहीं रैली में हिस्सा लेने का वादा करने के बाद वह पलट तो नहीं गए। इस पर राकांपा महासचिव डी.पी.त्रिपाठी ने कहा कि तथ्यों की गलत तरीके से व्याख्या नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दूसरे विमान के बंदोबस्त का प्रयास भी सफल नहीं हो पाया।
पवार ने हालांकि एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में इस बात को साफ किया कि वह वामपंथ या तीसरे मोर्चे के हिस्सा नहीं हैं लेकिन बीजद के साथ उनका जुड़ाव है।
पवार ने कहा, "मैं तीसरे मोर्चे या वाम मोर्चे का हिस्सा नहीं हूं। मेरा जुड़ाव बीजद से है, न कि वामपंथी पार्टियों से। हम संप्रग में बने रहना चाहते हैं।"
दरअसल, एक दिन पहले कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने कहा था, "पवार की पार्टी का हमारे साथ महाराष्ट्र में गठबंधन है। गुजरात में भी इसके लिए कोशिश जारी है। ऐसे में अच्छा होगा कि वह कांग्रेस विरोधी पार्टियों के मंच पर न उपस्थित हों।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।