अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र में देवतुल्य माने जाते हैं सोमनाथ
बोलपुर (पश्चिम बंगाल), 3 अप्रैल (आईएएनएस)। सन् 1985 में जब सोमनाथ चटर्जी एक उपचुनाव के जरिए अपने राजनीतिक करियर को नया जीवन देने बोलपुर आए थे तब किसी ने नहीं सोचा था कि वह सात बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे और देश के पहले कम्युनिस्ट लोक सभाध्यक्ष बनकर इतिहास रचेंगे।
चटर्जी ने जादवपुर में उस समय अपेक्षाकृत कम जानी जाने वाली ममता बनर्जी के हाथों स्तब्ध कर देने वाली पराजय के बाद बोलपुर लोकसभा क्षेत्र का रुख किया था।
इस बार चुनावी परिदृश्य से बाहर होने के बावजूद चटर्जी अपने विराट व्यक्तित्व और विकास कार्यो के अपने गंभीर प्रयासों की वजह से क्षेत्र में अपनी मौजूदगी का एहसास लगातार करा रहे हैं।
यूं तो परिसीमन आयोग द्वारा बोलपुर संसदीय क्षेत्र को अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कर दिए जाने के कारण यह संभव नहीं था कि चटर्जी इस क्षेत्र से आठवीं बार चुनाव लड़ते।
गत वर्ष भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के मुद्दे पर वाम दलों द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापसी के बाद उनकी पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उनसे लोक सभाध्यक्ष का पद त्यागने को कहा था, जिससे इंकार करने पर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
गत अगस्त में चटर्जी ने घोषणा कर दी थी कि वह मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे।
क्षेत्र में स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर सोमेंद्रनाथ बंधोपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, "उनका व्यक्तित्व विराट है। राजनीति और संसद में उनके कद के बहुत कम लोग हैं। समूचे क्षेत्र में दूरदृष्टि, समर्पण और विकास कार्यो के कारण उनका बहुत सम्मान है।"
क्षेत्र से माकपा उम्मीदवार बनाए गए रामचंद्र डोम ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह एक ऐसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जहां से चटर्जी जैसे कद्दावर नेता चुनाव लड़ चुके हैं। डोम ने कहा कि वह चटर्जी के विकास कार्यो को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।