मुद्रास्फीति की दर आंशिक बढ़कर 0.31 फीसदी हुई (लीड-2)
केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इससे पिछले यानी 14 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान यह दर 0.27 फीसदी थी।
थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति की दर में यह तेजी थोकमूल्य सूचकांक में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बढ़त आने के कारण आई। गत 14 से 21 मार्च के बीच सूचकांक में 0.1 फीसदी की तेजी आई।
समीक्षा अवधि के दौरान विनिर्मित वस्तुओं के सूचकांक में 0.2 फीसदी की तेजी आई जबकि प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में हल्की तेजी आई। ईंधन सूचकांक 321.0 (अस्थाई) से गिरकर 320.9 (अस्थाई) पर आ गया।
अर्थशास्त्री पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में अपस्फीति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अपस्फीति वह स्थिति है जब कीमतों में लगातार गिरावट आने लगती है।
उल्लेखनीय है कि धन की आपूर्ति कम होने और ऋण न दिए जाने तथा लोगों द्वारा खर्च कम करने के कारण अपस्फीति की स्थिति निर्मित होती है। ऐसे में मांग में कमी आने से बेरोजगारी दर बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के परियोजना प्रभारी दलीप कुमार के मुताबिक मुद्रास्फीति की दर में अब तेजी आती रहेगी और इस महीने के अंत तक यह एक फीसदी हो जाएगी।
कुमार ने कहा कि खाने पीने की वस्तुओं और फलों कीमतें बढ़ी हैं। दरअसल यह फलों और सब्जियों का मौसम नहीं है अत: इनकी कमी बनी हुई है। यह बात भी मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के लिए जिम्मेदार है।
यद्यपि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल लिमिटेड के प्रमुख अर्थशास्त्री डी.के.जोशी ने कहा कि अगले दो-तीन सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर शून्य फीसदी से नीचे चली जाएगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*