सुषमा स्वराज राजग को बहुमत मिलने को लेकर आश्वस्त नहीं (लीड-1)
भोपाल में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरेगा और राजग सबसे बड़ा गठबंधन होगा। मगर मुझे नहीं लगता कि अपने बलबूते राजग बहुमत हासिल कर सरकार बना पाएगा। राजग यदि सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरा तो चुनाव बाद गठबंधन के जरिए उसकी सरकार बन सकती है।
इससे पहले, प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में सुषमा ने स्पष्ट किया है कि वरुण गांधी को लेकर पार्टी किसी भी तरह की दुविधा में नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनके भाषणों से दूरी बनाई है, वरुण से नहीं। निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये को लेकर पार्टी वरुण के साथ है।
उन्होंने कहा कि भाजपा संयमित भाषा और वाणी की पक्षधर है। उनका मानना है कि शालीनता और दृढ़ता से भी अपनी बात रखी जा सकती है। आक्रामकता से कही जाने वाली बात का तो प्रभाव ही खत्म हो जाता है। पार्टी ने वरुण की इसी आक्रामक भाषा से असहमति जताई है और अपने को दूर रखा है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा वरुण को चुनाव न लड़ाने का सुझाव देने और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के मामले में पार्टी उनके साथ है।
सुषमा ने कहा कि एक तरफ मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाती है वहीं वरुण गांधी को चुनाव लड़ने से रोकने की बात कही जाती है।
स्वराज मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड की प्रभारी है। इन तीनों राज्यों में लोकसभा की कुल 54 सीटें हैं। वर्तमान में इनमें से 32 पर भाजपा का कब्जा है।
उन्होंने कहा कि यह चुनाव केन्द्र सरकार की विफलताओं के आधार पर लड़ा जा रहा है। भाजपा और उसके सहयोगी दल महंगाई, आतंकवाद, कर्मचारियों की छंटनी, किसानों की आत्महत्या और परमाणु बिजली समझौते के जरिए राष्ट्रीय स्वाभिमान को गिरवी रखने के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।
कई राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के बाद मध्य प्रदेश से चुनाव लड़ने के मुद्दे पर सुषमा स्वराज ने कहा कि यह उनका आखिरी पड़ाव है। वह मध्य प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने का सपना देख रही हैं और इसके लिए एक ब्लू प्रिन्ट बनाने की हिमायती हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, पर्यटन पर जोर हो। भाजपा सरकार ने प्रदेश में बहुत कुछ किया है ताकि बीमारू राज्य की छवि खत्म हो मगर अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।