अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे संजय दत्त (राउंडअप)
नई दिल्ली/लखनऊ, 31 मार्च (आईएएनएस)। फिल्म अभिनेता संजय दत्त अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने एक आपराधिक मामले में खुद को दोषी ठहराए जाने वाले फैसले को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
चुनाव कानूनों के मुताबिक किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और दो वर्ष से अधिक अवधि के लिए जेल की सजा पाया कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता।
इसी आधार पर प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दत्त की याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने दत्त को दोषी ठहराए जाने संबंधी फैसले को यह कह कर स्थगित करने से इंकार कर दिया कि उनके मामले की तुलना क्रिकेट से राजनीति में आए नवजोत सिंह सिद्धू के मामले से नहीं की जा सकती। गैर इरादतन हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए गए सिद्धू के दोष को सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2007 में स्थगित कर दिया था। इस कारण वह चुनाव लड़ने के योग्य हो गए थे।
प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायमूर्ति पी. सथाशिवम और न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की खंडपीठ ने दत्त की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए और दो वर्षो से अधिक अवधि के लिए जेल की सजा पाए किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकने संबंधी कानून राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाने के लिए है।
खंडपीठ ने कहा, "जिस गंभीर अपराध के लिए संजय दत्त को मुंबई के आतंकवाद निरोधी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने दोषी ठहराया है, उस दोष और सजा को हम स्थगित नहीं करना चाहते।"
ज्ञात हो कि दत्त को 1993 में हुए मुंबई बम विस्फोटों में दोषी ठहराते हुए छह साल कैद की सजा सुनाई गई है। उन्होंने मार्च के आरंभ में सिद्धू के मामले का हवाला देते हुए अपनी सजा के फैसले को स्थगित करने का अनुरोध किया था ताकि वे चुनाव लड़ सकें।
अदालत ने हालांकि माना कि दत्त कोई स्वाभाविक अपराधी नहीं हैं "लेकिन यह मामला इस लायक नहीं है कि इसमें दोष और सजा को स्थगित किया जा सके।"
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से समाजवादी पार्टी (सपा) को करारा झटका लगा है, क्योंकि सपा ने संजय दत्त को लखनऊ लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
जहां एक ओर सपा अदालत के इस फैसले से खिन्न है, वहीं दत्त ने मजबूती के साथ कहा कि वह अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन वह लखनऊ नहीं छोड़ेंगे।
दत्त ने लखनऊ में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, "मैं अदालत के फैसले का आदर करता हूं। मैं कानून का सम्मान करने वाला नागरिक हूं। मैं वाकई में अदालत का सम्मान करता हूं क्योंकि उसने मुझे आतंकवादी व विध्वंसक गतिविधि कानून (टाडा) के आरोपों से बरी किया था।"
लेकिन दत्त ने कहा, "मैं लखनऊ नहीं छोड़ूंगा। चाहे मैं यह चुनाव लड़ूं या नहीं लेकिन लखनऊ मेरा घर है। यह मेरे पिता सुनील दत्त की कर्मस्थली है और लखनऊ से मेरा बहुत लगाव है। लखनऊ हमेशा मेरा घर रहेगा।"
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा अब उनकी पत्नी मान्यता को लखनऊ से उम्मीदवार बनाएगी, दत्त ने कहा कि यह पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह को तय करना है। पार्टी जिसे भी टिकट देगी वह उसके पक्ष में प्रचार करेंगे।
सुनील दत्त के सम्मान में लखनऊ सीट से अपना उम्मीदवार न उतारने का फैसला कर चुकी कांग्रेस ने अब संजय दत्त के मामले में अदालत का फैसला आ जाने के बाद कहा है कि मैदान खुला हुआ है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एम.वीरप्पा मोइली ने संवाददाताओं से कहा, "अगला निर्णय परिस्थिति के अनुसार लिया जाएगा।"
उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दत्त के मामले में अदालत के फैसले का स्वागत किया है।
लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में करते हुए बसपा महासचिव सतीश मिश्र ने कहा कि बसपा को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। हम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि संजय दत्त को लखनऊ से चुनाव लड़ाना सपा का एक ड्रामा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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