बेंगलुरू छोड़ने को मजबूर हुए कामगार
बेंगलुरू में अपनी आजीविका चलाने वाले हजारों प्रवासी कामगार बेरोजगारी के कारण अपने घरों को लौटने पर मजबूर हो गए हैं।
बिना बिके फ्लैटों की संख्या में हो रहे इजाफे के कारण डेवलपर्स को अपनी नई परियोजनाओं में काम रोकना पड़ा है। कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (सीआरईडीएआई) के प्रमुख राज मेंदा ने कहा, "हालांकि इस क्षेत्र में कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है लेकिन बनकर तैयार और खरीददारों की बाट जोह रहे फ्लैटों की संख्या सैकड़ो में हो सकती है। काम ठप होने से इस क्षेत्र के हजारों कामगार बेरोजगार हो गए हैं।"
बेंगलुरू में ढाबा चलाने वाले श्रीराम प्रसाद को भले ही मंदी के बारे में कोई खास जानकारी न हो लेकिन वह इतना तो जानते हैं कि अभी बुरा दौर चल रहा है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान प्रसाद के ग्राहकों (जिनमें अधिकांश निर्माण क्षेत्र के श्रमिक व दैनिक वेतनभोगी हैं) की संख्या में 70 फीसदी तक की गिरावट आई है।
प्रसाद ने बताया, "कारोबार के पिछले चार वर्षो की अवधि में हमने कभी इतनी गिरावट नहीं देखी। हमारे अधिकांश नियमित ग्राहक बेंगलुरू छोड़ कर चले गए हैं क्योंकि उनके पास नौकरियां ही नहीं थीं। "
उन्होंने कहा कि अगर ऐसी ही स्थितियां रहीं तो मैं भी अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ बेंगलुरू छोड़ने की योजना बना रहा हूं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।