राजीव गांधी पर जानलेवा हमला करने वाला लड़ेगा लोस चुनाव
चंडीगढ़, 30 मार्च (आईएएनएस)। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी पर 24 वर्ष की उम्र में जानलेवा हमला करने वाले करमजीत सिंह अब चुनाव लड़ना चाहते हैं। वे पटियाला संसदीय सीट से अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
करमजीत ने लगभग 25 वर्ष पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर उनके जन्मदिवस के मौके पर 2 अक्टूबर 1986 को राजीव गांधी पर तीन गोलियां दागी थी। इस हमले में राजीव गांधी तो बच गए लेकिन करमजीत को पकड़ लिया गया।
वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे और राजीव गांधी के उस बयान के मद्देनजर कि 'किसी बड़े पेड़ (इंदिरा गांधी) के गिरने से भूचाल आता है', करमजीत ने राजस्थान के श्रीगंगानगर से 300 रुपये में देसी कट्टा खरीदा और राजीव गांधी को मारने की योजना बना डाली थी।
पकड़े जाने के बाद करमजीत ने पूछताछ के दौरान कबूला था कि 84 के सिख विरोधी दंगे का बदला लेने के लिए उन्होंने राजीव गांधी को मारने की कोशिश की थी।
अदालती सुनवाई के बाद करमजीत को 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वर्ष 2000 के मई महीने में उसने अपनी सजा पूरी की थी।
पंजाब के संगरूर जिले के सूनाम शहर में करमजीत अब वकालत करते हैं। उन्होंने जो भी किया था उसे लेकर उन्हें अभी भी कोई मलाल नहीं है।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैंने जो कुछ भी किया था, उसे लेकर मुझे कोई मलाल नहीं है। लेकिन अब मैं कुछ अलग करना चाहता हूं।"
उन्होंने कहा, "मैंने यह संदेश दुनिया भर में भेजने के लिए यह लोकतांत्रिक तरीका चुना है कि लोग गोली की नहीं लोकतंत्र की भाषा को अधिक समझते हैं।"
वे कहते हैं, "अब मैं गोली से नहीं लोकतांत्रिक तरीके से लडूंगा। मेरा एजेंडा कांग्रेस और अकाली दल दोनों का विरोध करना रहेगा क्योंकि दोनों ने ही 84 के दंगों के आरोपियों को दंड देने के लिए कुछ नहीं किया।"
ज्ञात हो कि जेल में रहने के दौरान ही करमजीत ने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल कर ली थी। वे न सिर्फ एक वकील हैं बल्कि सुनाम के एक स्कूल के प्रबंधन से भी जुड़े हैं।
राजीव गांधी भले ही करमजीत की गोलियों से बच गए थे लेकिन मई 1991 में वे तमिलनाडु के श्रीपेरेम्बुदुर में लिट्टे के आत्मघाती हमले का शिकार होने से नहीं बच सके।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।