सचिन के लिए आसान नहीं होगा अजमेर से संसद का सफर
अजमेर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ है और पार्टी ने छह दफा यहां से जीत हासिल की है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सचिन के लिए अजमेर के रास्ते संसद तक का सफर तय करना कितना मुश्किल है।
बहरहाल, सचिन ने अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। वे हर दिन लगभग 100 किलोमीटर का सफर तय कर गांवों व देहातों की गलियों की खाक छान रहे हैं। रैलियों व जनसभाओं के माध्यम से वह लोगों को दिलों को जीतने की कोशिश भी कर रहे हैं।
वह कहते हैं, "मैं अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हूं। मुझे पता है कि लोगों को मुझसे ढ़ेरों उम्मीदें हैं। पार्टी नेतृत्व ने मुझ पर भरोसा जताया और मैं उस भरोसे पर एकदम खरा उतरूंगा।"
सचिन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मैंने अजमेर में पार्टी का चुनाव प्रचार किया था, इसलिए मैं यहां के लोगों के लिए अपरिचित नहीं हूं। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि उस धारणा को गलत साबित करूं कि यह भाजपा का अभेद्य किला है।"
सचिन को विश्वास है कि चुनाव में उन्होंने पहली बढ़त ले ली है क्योंकि भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार तय नहीं किया है। वे कहते हैं, "उन्हें तो एक उम्मीदवार नहीं मिल रहा है।"
अजमेर से पांच बार सांसद रहे चुके रसासिंह रावत परिसीमन के चलते इस बार पास के राजसमंद से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा अभी तक उनका विकल्प नहीं ढ़ूंढ पाई है।
सचिन का कहना है, "ग्रामीण इलाकों में कृषि और सिंचाई यहां प्रमुख मुद्दा है। ग्रामीण जनता में इस लेकर रोष है जबकि शहरी क्षेत्रों में योजनाओं का क्रियान्वयन न होने से लेागों में नाराजगी है।"
उल्लेखनीय है कि 2004 के लोकसभा चुनाव में सचिन ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 1,20,000 मतों से पराजित किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।