कांग्रेस-तृणमूल के वाम मोर्चे को कड़ी टक्कर देने की संभावना
कोलकाता, 29 मार्च (आईएएनएस)। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप देने के बाद राज्य में दोनों गठबंधनों के बीच कड़े मुकाबले की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषक सब्यसाची बसु राय चौधरी ने आईएएनएस से कहा कि पश्चिम बंगाल में लड़ाई काफी केंद्रीकृत है। इसलिए यदि विपक्षी शक्तियों ने एक गठबंधन किया है तो उनके बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में पिछले 32 वर्षो से वाम मोर्चा शासन के खिलाफ पैदा असंतोष का लाभ भी विपक्ष को मिल सकता है।
परंतु सामयिक राजनीतिक मामलों के एक विशेषज्ञ रनबीर समादार ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के एक छतरी के नीचे आने के बाद भी यह अनुमान लगाना कठिन है कि वे निश्चित रूप से चुनाव में विजयी होंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु ने भी स्वीकार किया कि यदि दोनों दल साथ आएं हैं तो वाम मोर्चे को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है।
वर्ष 2004 के चुनाव में वाम मोर्चे को 35 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को छह और तृणमूल को एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा था। चुनाव में वाम मोर्चे को 50.76 प्रतिशत वोट, तृणमूल-भाजपा गठबंधन को 29.12 प्रतिशत और कांग्रेस को 15.16 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
वर्ष 2006 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे को 50.18 प्रतिशत, तृणमूल-भाजपा को 28 प्रतिशत और कांग्रेस को 14.71 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
इसको देखते हुए कई संसदीय क्षेत्रों में वाम मोर्चा के कड़े संघर्ष में फंसने की संभावना है, जहां कांग्रेस और तृणमूल के मतों का प्रतिशत वाम मोर्चे के मतों की संख्या के करीब-करीब बराबर ही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।