कश्मीर मुद्दे पर भारत से संबंध खराब कर रही कनाडा की नौकरशाही

By Staff
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टोरंटो, 28 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय समुदाय के नेताओं ने कश्मीर विवाद में भूमिका निभाने के कनाडा के विदेश मंत्री लारेंस कैनन के नए बयान की निंदा की है। उन्होंने कनाडा से कश्मीर में ताजा हुए निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों को स्वीकारने की अपील करते हुए जोर दिया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।

भारत द्वारा वर्ष 1974 में पोकरण परीक्षण के बाद से ही कनाडाई नौकरशाही पर भारत के प्रति पक्षपाती रवैया रखने का आरोप लगाते हुए इन नेताओं ने कहा कि यह बयान नौकरशाही का काम हो सकता है। भारत के साथ संबंध बढ़ाने के राजनेताओं के प्रयासों को नौकरशाह कमजोर करते हैं।

कश्मीर समर्थक पीस एंड जस्टिस फोरम (पीजेएफ) के मुश्ताक गिलानी को लिखे पत्र में कैनन ने कहा कि नई दिल्ली स्थित कनाडा के उच्चायोग के माध्यम से मानव अधिकार के मुद्दों पर भारत सरकार से संवाद चलाया हुआ है। गिलानी ने कश्मीर में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों के बारे में कैनन को लिखा था।

कैनन ने अपने पत्र में कहा कि कनाडा नियमित रूप से भारत को कश्मीरियों सहित सभी के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित दबाव डालता है।

मंत्री के इस पत्र की निंदा करते हुए भारत-कनाडा कश्मीरी फोरम के अध्यक्ष अशोक कौल ने कहा कि जबकि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मान लिया है तो कैनन कैसे इस विवाद में शामिल होना चाहते हैं।

राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और विदेश नीति विशेषज्ञ तथा भारत-कनाडा संबंधों पर कई किताबें लिख चुके अशोक कपूर का कहना है कि वर्ष 1974 के पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद से ही कनाडा के विदेश विभाग में भारत विरोध संस्थागत रूप ले चुका है। नौकरशाहों ने मंत्री के सामने बयान रखा होगा और उसने उस पर हस्ताक्षर कर दिए होंगे।

उन्होंने कहा कि कनाडाई नौकरशाही भारत-कनाडा के संबंधों में विध्वंसात्मक भूमिका निभा रही है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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