नीतीश के गढ़ नालंदा में जदयू की राह आसान नहीं

By Staff
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परिसीमन से इस क्षेत्र की भौगोलिक बनावट में हालांकि कुछ परिवर्तन अवश्य हुआ है, लेकिन कुर्मी बहुल इस क्षेत्र में सभी प्रमुख दलों द्वारा इसी समुदाय से संबंध रखने वाले प्रत्याशियों को मैदान में उतारे जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभाव के पीछे भी उनका कुर्मी होना ही है।

इस सीट से जदयू ने कुर्मी समुदाय के कौशलेन्द्र कुमार को टिकट दिया है वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ तालमेल के तहत लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी इसी समुदाय के ही सतीश कुमार को प्रत्याशी बनाया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने यादव समुदाय के देशकिशोर राय को चुनाव मैदान में उतारा है।

कांग्रेस ने अब तक औपचारिक रूप से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है लेकिन संभावना व्यक्त की जा रही है कि वह जदयू से निष्कासित तथा कुर्मी समुदाय के रामस्वरूप प्रसाद को यहां से चुनावी जंग में उतारेगी। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कुर्मी मतों का विभाजन अवश्य होगा।

वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने लोजपा के डा़ पुष्पंजय कुमार को करीब एक लाख मतों से हराया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने नालंदा सीट खाली कर दी थी। नवंबर 2006 में हुए उप चुनाव में जदयू की टिकट पर रामस्वरूप प्रसाद ने लोजपा तथा राजद समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी अरुण कुमार को एक लाख 17 हजार मतों से पराजित किया।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां से जदयू के प्रत्याशी को नहीं बल्कि नीतीश कुमार को वोट मिलते हैं। राजनीतिक विश्लेषक श्रीकांत का मानना है कि नालंदा से अभी जदयू के प्रत्याशी को हराना अन्य दलों के लिए बड़ी बात होगी, परंतु वह यह भी मानते हैं कि इस बार कुर्मी समुदाय के मतदाताओं में विभाजन तय है जो जदयू के लिए थोड़ी परेशानी खड़ा कर सकता है।

नालंदा सीट के इतिहास को देखा जाए तो वर्ष 1952 और 1957 में यहां से कैलाशपति सिन्हा जीते थे जबकि वर्ष 1955 में हुए आम चुनाव में वीरेंद्र प्रसाद विजयी हुए थे। इसके बाद 1962 से 1971 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के सिद्धेश्वर प्रसाद चुने गए। जदयू के वरिष्ठ नेता जार्ज फर्नाडीस वर्ष 1996, 1998 तथा 1999 में इस क्षेत्र से सांसद चुने गए थे।

नालंदा संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 17 लाख 17 हजार है जिसमें कुर्मी समुदाय के लगभग तीन लाख 75 हजार तथा यादव समुदाय के दो लाख 75 हजार मतदाता हैं। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लगभग एक लाख 65 हजार और कुशवाहा समुदाय के एक लाख 25 हजार मतदाता इस संसदीय क्षेत्र में हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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