कोडनानी ने इस्तीफा दिया, भाजपा ने कहा, कानून अपना काम करेगा (लीड-3)

By Staff
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पार्टी प्रवक्ता बलबीर पुंज ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "गुजरात उच्च न्यायालय का फैसला आते ही पार्टी ने उनसे इस्तीफा देने को कह दिया। उन्होंने इस्तीफा दे दिया, बाकी कानून अपना काम करेगा।"

कोडनानी पर वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नारोदा पटिया और नारोदा गाम क्षेत्रों में हिंसक भीड़ की अगुवाई करने का आरोप है। इसमें 106 लोग मारे गए थे।

न्यायालय ने उनकी याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि यह किसी संगठित अपराध से कम नहीं था। याचिका खारिज होने के तत्काल बाद कोडनानी ने इस्तीफा दे दिया।

अपने आदेश में न्यायमूर्ति डी एच वाघेला ने कहा, "माया कोडनानी भीड़ की अगुवाई कर रही थी लेकिन उन्होंने उसे काबू नहीं किया। यह किसी संगठित अपराध से कम नहीं था।"

न्यायालय ने कोडनानी के वकील की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने के वास्ते समय दिए जाने का अनुरोध भी ठुकरा दिया।

ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि उच्च शिक्षा मंत्री की शुक्रवार शाम तक गिरफ्तारी हो सकती है। इसी समय भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रचार शुरू करने के लिए एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं।

लेकिन राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि अदालत का फैसला मंत्री के खिलाफ नहीं है और ना ही यह भाजपा के लिए शर्मिदगी भरा है।

गुजरात के उच्च न्यायालय के वकील मुकुल सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "माया कोडनानी की जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई है और उन्हें शाम तक गिरफ्तार किया जा सकता है।"

कोडनानी का नाम सर्वोच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त विशेष जांच दल(एसआईटी) द्वारा नारोदा गाम और नारोदा पाटिया में दंगों के लिए उकसाने वालों में शुमार किया गया है। इन जगहों पर 27 फरवरी 2002 के गोधरा कांड के तत्काल बाद दंगे भड़क उठे थे।

उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल अपनी याचिका में एसइआईटी ने कहा है कि गवाहों द्वारा नाम लिए जाने के बाद से ही कोडनानी गिरफ्तारी से बच रही हैं। गवाहों ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने उस दिन मंत्री को उन इलाकों में देखा था।

गवाहों ने एसआईटी को बताया कि उन्हें धमकाया जा रहा है और मंत्री के खिलाफ आरोप वापस लेने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में 1180 लोग मारे गए थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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