पीएमके ने संप्रग को छोड़ एआईएडीएमके का दामन थामा (लीड-2)
इस घोषणा से पहले ही तीन बड़े राज्यों में अपने सहयोगी गंवा चुकी कांग्रेस को गहरा झटका लगा है। कई दिनों की अनिश्चितता के बाद अंतत: पीएमके ने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन का फैसला किया।
पीएमके नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास ने बताया कि गुरुवार को पार्टी की महापरिषद की बैठक में मतदान के जरिए फैसला हुआ कि आगामी लोकसभा चुनाव राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की पार्टी अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर लड़ा जाए। जयललिता के साथ चुनावी गठबंधन के पक्ष में 2,453 सदस्यों ने मतदान किया जबकि इसके विरोध में महज 117 मत पड़े।
रामदास ने कहा, "आप सब ने भारी बहुमत से एआईएडीएमके के नेतृत्व वाले राजनीतिक गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है और मैं उससे सहमत हूं।" पार्टी की महापरिषद की बैठक में पीएमके के संस्थापक एस. रामदास भी मौजूद थे।
पीएमके के इस समय छह लोकसभा सदस्य हैं। खबर है कि जयललिता ने पीएमके को सात लोकसभा सीटें और राज्यसभा की एक सीट देने का प्रस्ताव दिया है।
अंबुमणि रामदास ने संवाददाताओं को बताया कि वह अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप देंगे।
संप्रग से पीएमके के अलग होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तमिलनाडु के कांग्रेस विधायक के. जयकुमार ने कहा, "पीएमके का यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है। इससे संप्रग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पीएमके एक सांप्रदायिक पार्टी है। उसके जाने का असर बहुत कम होगा।"
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सतर्कता बरतते हुए कहा कि कांग्रेस ने पीएमके नेताओं से बातचीत की हर संभव कोशिश की और उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास किए।
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, "संप्रग का अस्तित्व अब नहीं बचा है। इस गठबंधन के सभी प्रमुख दल इस बात को भांपते हुए अलग हो चुके हैं कि कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ना उनको भारी पड़ सकता है। "
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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