लगातार 8वें सप्ताह गिरकर मुद्रास्फीति की दर 0.27 फीसदी हुई (राउंडअप)
केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित आंकड़ों के मुताबिक इससे पिछले सप्ताह यह दर 0.44 फीसदी थी।
मंत्रालय के मुताबिक सात से 14 मार्च के बीच थोक मूल्य सूचकांक में कुल मिलाकर 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। विनिर्मित वस्तुओं के सूचकांक में 0.2 फीसदी का इजाफा हुआ। इसी तरह प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में मामूली परिवर्तन हुआ जबकि ईंधन सूचकांक में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
अर्थशास्त्री पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि इस गिरावट से अपस्फीति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अपस्फीति वह स्थिति है जब कीमतों में लगातार गिरावट आने लगती है।
उल्लेखनीय है कि धन और ऋण की आपूर्ति कम होने और लोगों द्वारा खर्च कम करने के कारण अपस्फीति की स्थिति निर्मित होती है। ऐसे में मांग में कमी आने से बेरोजगारी दर बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री डी.के.जोशी ने बताया कि अगले दो तीन सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर नकारात्मक हो सकती है।
जोशी ने आईएएनएस को बताया, "मुद्रास्फीति की दर में लगातार गिरावट इसलिए आ रही है क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में कीमतें तेजी से नीचे आ रही हैं। जल्द ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के गिरकर एक अंक में आ जाने की उम्मीद है।"
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनामिक्स रिसर्च (एनसीएईआर) के परियोजना प्रमुख दलीप कुमार ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में कमी आने के बावजूद खुदरा वस्तुओं की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं और उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिला है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।