तीन नेताओं की याचिकाओं पर उच्च न्यायालयों का नकारात्मक निर्णय (लीड-2)
जहां एक तरफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अलग-अलग खंडपीठों ने माफिया डॉन से राजनेता बने मुख्तार अंसारी और पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)के लोकसभा उम्मीदवार वरुण गांधी की याचिकाओं को खारिज कर दिया, वहीं उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपराधी से नेता बने अमरमणि त्रिपाठी के मामले में भी यही रवैया अख्तियार किया। अदालत ने उन्हें जमानत देने से साफ इंकार कर दिया।
संयोग की बात यह कि विभिन्न अदालतों में दायर तीनों याचिकाओं की प्रकृति लगभग एक जैसी थी और तीनों में एक ही तरह की राहत मांगी गई थी।
अदालत ने वाराणसी लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रूप में अंसारी को नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अरुण सरन की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अंसारी पहले से न्यायिक हिरासत में हैं, लिहाजा मतदान करने का उनका अधिकार अपने आप स्थगित हो गया है।
खंडपीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "जब वह अपना वोट नहीं दे सकते तो फिर वह नामांकन भरने के योग्य कैसे हो सकते हैं?"
दूसरी ओर न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति एस.सी.निगम की खंडपीठ ने वरुण गांधी की गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश देने से इंकार कर दिया।
मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा, "प्रथम दृष्टया वरुण गांधी के खिलाफ मजबूत मामला बनता है।"
न्यायमूर्ति मुर्तजा ने कहा, "जब अग्रिम जमानत दिल्ली उच्च न्यायालय से मिल चुकी है तो फिर इसी तरह की राहत दूसरी अदालत से क्यों मांगी जा रही है। "
वरुण गांधी के मामले में उनके वकील गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका इसलिए दाखिल की कि उत्तर प्रदेश पुलिस कह सकती है कि पीलीभीत का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
चतुर्वेदी ने बताया कि वरुण गांधी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए वे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
उल्लेखनीय है कि वरुण गांधी पर पीलीभीत में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पुलिस ने उनके खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज किए हैं।
इससे पहले वरुण को दिल्ली उच्च न्यायालय ने गत 20 मार्च को अग्रिम जमानत दे दी थी जो केवल एक सप्ताह के लिए वैध थी। अग्रिम जमानत की वैधता समाप्त होने में अब केवल दो दिन बाकी हैं।
उधर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को कोई राहत नहीं दी। त्रिपाठी ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अदालत से जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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