भारत नहीं करेगा सीटीबीटी पर हस्ताक्षर
परमाणु और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत श्याम सरन ने सोमवार को बताया कि सीटीबीटी एक ऐसा मुद्दा है जिसे नए अमेरिकी प्रशासन और भारत के बीच संबंधों में संभावित विवाद के रूप में देखा जा रहा है।
वाशिंगटन स्थित ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में 'भारत-अमेरिका परमाणु समझौता : उम्मीदें और परिणाम' विषय पर अपने भाषण में सरन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सीनेट की मंजूरी मांगते समय यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं और भारत ने नहीं।
इसके साथ ही उन्होंने संधि के लागू होने के लिए आवश्यक देशों की सहमति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयास आरंभ करने का भी आश्वासन दिया। उन्होंने इस संदर्भ में सितम्बर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे गए ओबामा के पत्र का उल्लेख किया।
पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि भारत सीटीबीटी का हमेशा से समर्थक रहा है लेकिन उसने इस पर इसलिए हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि यह साफ हो गया है कि इससे परमाणु निरस्त्रीकरण के उद्देश्य को हासिल नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि भारत के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि परमाणु हथियार संपन्न और परमाणु हथियार विहीन देशों के बीच विभाजन को किसी प्रकार की वैधानिकता न मिले।
सरन ने कहा कि इस पर भारत के हस्ताक्षर नहीं करने का एक कारण यह भी है इससे संयुक्त राष्ट्र में निरस्त्रीकरण पर वार्ता के माध्यम से सहमति कायम करने के प्रयास अप्रासंगिक हो जाएंगे।
सरन ने कहा कि इन सभी कारणों से भारत सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा है,लेकिन मई 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद भारत ने परमाणु परीक्षणों पर स्वत: एकतरफा रोक की घोषणा की और उस पर कायम है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।