वामपंथियों ने देश की संप्रभुता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए जनता से समर्थन मांगा
चारों वामपंथी पार्टियों- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)और फारवर्ड ब्लाक ने मंगलवार को जारी की गई अपनी एक संयुक्त अपील में कहा कि उन्हें पूरी दृढ़ता के साथ धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करनी है, राष्ट्रीय प्रभुसत्ता की हिफाजत करनी है और एक स्व-रक्षित और संतुलित आर्थिक रास्ते को विकसित करना है।
अपील में कहा गया है, "यदि कामकाजी लोगों, दलितों, जनजातियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और समाज के दबे-कुचले लोगों को सामाजिक न्याय दिलाना है, यदि देश को एक मजबूत और स्वतंत्र विदेश नीति के साथ सामने लाना है तो वामपंथ को मजबूत करना होगा।"
वामपंथी नेताओं ने अपने को एक नकारात्मक ताकत संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की।
भाकपा महासचिव ए.बी.बर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (एनआरईजीए) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के अन्य प्रतिष्ठित विधेयकों को वामपंथ के समर्थन से ही पारित कराया जा सका है।
बर्धन ने अन्य वामपंथी पार्टियों के महासचिवों के साथ अपील जारी करते हुए कहा, "वामपंथ के इस योगदान को प्रधानमंत्री को स्वीकार करना होगा।"
इस अवसर पर माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि वामपंथी पार्टियों का प्रयास रहा कि संप्रग जनता के लिए काम करे।
अपील में आगे कहा गया है कि पिछले पांच वर्षो के दौरान वामपंथी पार्टियों ने धर्मनिरपेक्षता व जनता के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए तथा राष्ट्रीय प्रभुसत्ता की हिफाजत व अमेरिकी साम्राज्यवाद से जुड़ी किसी भी रणनीति का विरोध करने के मामले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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