रैगिंग लेने वालों का भविष्य खतरे में
इसके
अलावा
यूजीसी
ने
ऐसे
छात्रों
को
एक
से
चार
सेमेस्टर
तक
परीक्षा
देने
से
रोकने
या
कॉलेज
से
निष्काषन
का
भी
सुझाव
दिया
है।
यूजीसी
के
चेयरमैन
प्रोफेसर
सुखदेव
थोराट
ने
बताया
कि
नए
नियमों
के
संबंध
में
मेडिकल
काउंसिल
ऑफ
इंडिया,
एआईसीटीई
और
राज्य
काउंसिल
समेत
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अलग-अलग
परिषद
में
चर्चा
होगी।
इसकी मंजूरी के बाद इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा। इस सिफारिश में नामांकन के वक्त छात्रों और अभिभावकों से लिखित संकल्प लेने की बात भी कही गई है।
इसके अलावा सभी शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग स्क्वॉड बनाने होंगे और स्टूडेंट के बीच रैगिंग के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी होगी। अगर कोई संस्थान इन नियमों को लागू करने में ढील करता है तो उससे संबंध खत्म कर लिया जाएगा या उसकी मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।
नियमों का पालन न करने पर विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली ग्रांट भी वापस ले ली जाएगी। इसके अलावा यूजीसी ऐसे इंस्टिट्यूट को किसी भी सहायता के अयोग्य घोषित कर सकेगी।
पिछले दिनों रैगिंग के कारण हिमाचल प्रदेश के एक मेडिकल स्टूडेंट अमन काचरू की मौत हो गई जिसके बाद यूजीसी ने ऐसे सख्त कदम उठाने का फैसला किया।