झारखंड में संप्रग बिखरा, राजग की भी हालत पतली
रांची, 23 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सहयोगी दल जहां लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने में व्यस्त हैं वहीं प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भी सब कुछ ठीक नहीं है।
इस महीने के आरंभ में संप्रग के तीन घटक दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस में यह सहमति बनी थी कि वे राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से संप्रग के कब्जे वाले 12 संसदीय क्षेत्रों में अपने कब्जे वाली सीटों के सापेक्ष प्रत्याशी उतारेंगे।
संप्रग के कब्जे से बाहर दो सीटों कोडरमा और हजारीबाग को बाद में चर्चा के लिए छोड़ दिया गया था। मोटे तौर पर माना जा रहा था कि कोडरमा राजद को और हजारीबाग झामुमो के हिस्से जाएगी।
परंतु बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर राजद और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के 37 सीटों के बंटवारे और कांग्रेस को केवल तीन स्थान देने के बाद कांग्रेस के भी 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के फैसले से झारखंड के लिए तय समझौता भी नष्ट हो गया।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उनकी पार्टी झारखंड में चार और लोजपा पांच क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़ा करेगी। इसके साथ ही उन्होंने राज्य की अन्य छोटी पार्टियों के समर्थन की भी घोषणा की।
लालू के इस निर्णय ने कांग्रेस को बौखला दिया और उसने सोमवार को वर्ष 2004 में राजद द्वारा जीती गई दो सीटों चतरा और पलामू से भी उम्मीदवार उतारने का फैसला किया।
कांग्रेस ने हजारीबाग से भी अपना उम्मीदवार घोषित करके झामुमो को भी चौंका दिया है। राज्य कांग्रेस प्रवक्ता रविंद्र सिंह ने कहा कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को विश्वास में लेने के बाद ही हजारीबाग से प्रत्याशी की घोषणा की गई है। झामुमो कोडरमा सीट लेगी।
उधर झामुमो सूत्रों का कहना है कि वह हजारीबाग और कोडरमा दोनों स्थानों से उम्मीदवार उतारेगी।
वर्तमान परिदृश्य में कांग्रेस नौ, झामुमो छह, राजद चार और लोजपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। कम से कम पांच सीटों पर कांग्रेस का सामना राजद, झामुमो और लोजपा उम्मीदवारों से है।
शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन ने घोषणा की है कि झामुमो राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
उधर राजग में भी सब कुछ ठीक नहीं है। भाजपा के जनता दल-यूनाइटेड को चतरा और पलामू संसदीय क्षेत्र देने के कारण पैदा हुए अंसतोष के बाद 2000 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता पार्टी छोड़ चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।