मध्य प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाला, 2 गिरफ्तार
प्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के अध्ययनरत छात्र छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है। इस छात्रवृत्ति पर ही एक निजी विद्यालय के शिक्षक भागचंद्र ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर डाका डाला है। पिछले दो साल से सक्रिय गिरोह का भंडाफोड़ होने से छात्रवृत्ति घोटाले का राज उजागर हुआ है।
दमोह कोतवाली के प्रभारी सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि विद्यालय और महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों को शिक्षण संस्थाओं से छात्रवृत्ति के चेक प्रदान किए जाते हैं। इसी का लाभ उठाते हुए निजी विद्यालय के शिक्षक भागचंद्र ने अपने कुछ साथियों के साथ तमाम शिक्षण संस्थाओं के विद्यालयों में पढ़ने वाले आरक्षित वर्ग के छात्रों की सूची जुटाई और उसके बाद केन्द्रीय सहकारी बैंक के चेक पर फर्जी सील और दस्तखत कर बैंक से भुनाने का सिलसिला शुरू किया।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक इस गिरोह के सदस्य मासूम विद्यार्थियों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर इन चेकों को भुना लेते थे। इसके एवज में चेक भुनाने वाले छात्र को 200 रुपए तक दिए जाते थे। पिछले दो साल से यह सिलसिला जारी था।
इस गिरोह की कारगुजारियों के चलते वास्तविक तौर पर हकदार छात्रों को बैंक के तमाम चक्कर लगाने के बावजूद छात्रवृत्ति हासिल नहीं हो पाती थी। इसी तरह की शिकायतों के आधार पर पुलिस ने जब दबिश दी तो उसके हाथ एक ऐसा छात्र लग गया जो फर्जी चेक को भुनाने आया था।
पुलिस ने आरोपी शिक्षक भागचंद्र और संतोष विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर उनके पास से विभिन्न प्राचार्यो की नकली सील, छात्रों के परिचय पत्र और केन्द्रीय सहकारी बैंक की चेक बुक भी बरामद की है।
पुलिस का अनुमान है कि उसने फर्जी चेकों के जरिए छात्रवृत्ति के लाखों रुपए डकार लिए हैं। इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी पुलिस तलाश कर रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।