मप्र के नए विधायक पढ़ेंगे संसदीय परंपराओं का पाठ
रोहाणी मानते हैं कि इन नए सदस्यों को संसदीय परंपराओं से अवगत कराने की जरूरत है, इसीलिए उन्हें संसदीय परंपराओं का पाठ पढ़ाने के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
लेखानुदान मांगों के लिए बुलाए गए विधानसभा सत्र के समापन के बाद आईएएनएस से चर्चा करते हुए रोहाणी ने सदन में आए नए विधायकों की सोच, समझ के साथ आचरण की भी प्रशंसा की। उन्होंने माना कि इन सदस्यों को संसदीय परंपराओं की जानकारी नहीं है, जिसके चलते वे अति उत्साह में कुछ ज्यादा ही बोल जाते हैं।
एक सवाल के जवाब में रोहाणी ने कहा कि यह राजनीतिक दलों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने विधायकों को संसदीय परंपराओं से परिचित कराए, मगर ऐसा होता नहीं है। उन्होंने तय किया है कि नए विधायकों को इन परंपराओं से अवगत कराने के लिए विधानसभा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन करेंगी।
देश की संसदीय संस्थाओं में बढ़ती अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति को रोहाणी लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं मानते। उनका कहना है कि समाज के हर हिस्से में गिरावट आ रही है और उसका असर लोकतंत्र पर भी पड़ रहा है। लोकतंत्र की मजबूती और आम जनता को राहत दिलाने के लिए संवाद जरूरी है। जब संवाद टूटता है तो लोकतंत्र कमजोर होता है।
रोहाणी मीडिया द्वारा हंगामा और उत्पात करने वालों को ज्यादा जगह दिए जाने को भी अच्छा नहीं मानते। वे कहते हैं कि हंगामा करने वाले तो समाचार पत्रों में सुर्खियों में जगह पा जाते है जबकि गंभीर विषयों पर चर्चा करने वालों को ज्यादा स्थान नहीं मिलता। उनका अनुभव है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के विधायकों का आचरण अच्छा है और नजरिया भी सकारात्मक है।
विधानसभा व लोकसभा अध्यक्ष की निष्पक्षता को लेकर उठने वाले सवालों पर रोहाणी का कहना है कि हमारे देश में इन संसदीय संस्थाओं का अध्यक्ष सदन के भीतर अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निष्पक्ष रहकर संचालन करता है। वे साथ ही जोड़ते है कि अध्यक्ष बनने वाला व्यक्ति किसी न किसी दल के टिकट पर चुनाव जीतकर आता है और उसकी अपनी पार्टी के प्रति कुछ जवाबदारी भी होती है, इसलिए उसे चुनाव के समय पार्टी के लिए काम करना पड़ता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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