भारत-चीन व्यापारिक संबंध मजबूत किए जाने की जरूरत : वाणिज्य सचिव
गुरूवार को यहां भारत-चीन द्विपक्षीय बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'दोनों देशों की व्यापक उत्पादन और खपत क्षमताओं के मद्देनजर हमें आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते की राह की सभी छोटी मोटी बाधाओं को दूर करने का एकजुट प्रयास करना चाहिए।' इस द्विपक्षीय बैठक में चीन की ओर से चीन के वाणिज्य उपमंत्री झोंग शान तथा दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया ।
चर्चा के दौरान पिल्लई ने चीनी पक्ष को बताया कि फार्मास्यूटिकल्स एवं दवाओं को सुगम बाजार उपलब्ध करवाना दोनों देशों के लिए फायदेमंद है । वाणिज्य सचिव ने चीनी पक्ष से 14 फलों एवं सब्जियों को यथाशीघ्र बाजार उपलब्ध कराने का अनुरोध किया क्योंकि यह मुद्दा काफी समय से लंबित है। दोनों पक्षों ने अनुभव किया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश काफी बढ़ाने की जरूरत है और निवेश के प्रमुख क्षेत्र हैं पेट्रो-रसायन, इस्पात, स्वास्थ्य देखभाल, आईटी, ऑटो-मोबाइल, जैव-प्रौद्योगिकी, नवकरणीय ऊर्जा तथा कम कार्बन प्रौद्योगिकियां ।
2007-08 के बीच दोनों देशों के बीच 37़9 अरब अमेरिकी डालर का व्यापार हुआ था। भारत ने चीन को अयस्क, कॉटन यार्न एवं फैब्रिक, जैविक एवं अजैविक रसायन, कीमती पत्थर, धातु और मशीन निर्यात किया था, जबकि चीन ने भारत को इलेक्ट्रिकल मशीन, जैविक रसायन, लोहा एवं इस्पात, उर्वरक और खनिज ईंधन निर्यात किया था। संयुक्त अध्ययन दल की नई दिल्ली में हुई सातवीं बैठक में जीईजी (व्यापारिक दल) प्रणाली को पूरी तरह कार्यरत बनाने की सिफारिश की गई। जीईजी की अगली बैठक बीजिग में होगी
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।