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छोटी-सी बात भी बड़ी होती है

By Staff
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नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। जीवन में हम प्राय: छोटी बातों की तरफ ध्यान नहीं देते। केवल बड़ी बातों को ही महत्व देते हैं। एक बार गांधी जी के पास एक चिट्ठी आई। दो-तीन पृष्ठ की उस चिट्ठी में कोई काम की बात न थी। उन्होंने चिट्ठी में लगी आलपीन निकाली और संभालकर रख दी। फिर चिट्ठी फाड़कर फेंक दी।

कोई सज्जन बैठे यह सब देख रहे थे। उन्होंने पूछा 'बापू जी! यह क्या किया आपने।' गांधी जी बोले, 'इसमें जो काम की चीज थी, वह मैंने रख ली।' गांधी जी के पास बहुत से अखबार आते थे। उनमें लगे रैपर वह संभालकर निकालते और रख लेते। उनकी खाली जगहों पर वह लिखकर अपना 'रफ वर्क' कर लेते थे और सादा कागज बर्बाद नहीं होने देते थे।

जीवन में कई बार बड़ी बातों की जगह छोटी बातें कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। कितने ही लोगों ने छोटी-छोटी बातों के सहारे बड़े-बड़े काम करके दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। एक नन्हा बालक जेम्सवाट अंगीठी के पास बैठा खाने का इंतजार कर रहा था। अंगीठी पर केतली चढ़ी थी। उसके उबलते पानी से केतली का ढक्कन उछलने लगा। और यहीं से जन्मा भाप की ताकत के इस्तेमाल का विचार जिसने दुनिया में क्रांति ला दी।

यदि सच पूछें, तो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण घटनाएं तो कभी-कभार ही घटती हैं, जबकि छोटी-छोटी बातें बहुत घटती हैं। इनमें अनेक घटनाएं ऐसी होती हैं जिनकी ओर हम ध्यान नहीं देते, किंतु वे हमारे व्यक्तित्व, हमारे व्यवहार, हमारे स्वभाव तथा हमारी कार्यशैली को प्रभावित करती रहती हैं और वे उनका प्रतीक भी बन जाती हैं। ये प्रभाव सार्थक भी हो सकता है और विपरीत भी। सार्थक है तो ठीक है, अन्यथा आपको उससे हानि भी हो सकती है।

एक छोटा-सा उदाहरण लीजिए। कई लोग बातचीत के दौरान किसी एक शब्द को बार-बार अनजाने में प्रयोग करते हैं। यहां तक तो ठीक, किंतु बार-बार प्रयुक्त होने वाला यह शब्द, जिसे उर्दू में 'तकिया कलाम' कहते हैं, यदि कोई 'गाली' हुआ (जैसा कि आमतौर पर लोग प्रयोग करते हैं।) तो सोचिए कि आपके बारे में लोग क्या सोचेंगे? स्थिति तब और हास्यास्पद और दुखद हो जाती है, जब आप अनजाने ही इस गाली का प्रयोग घर की महिलाओं के सामने करते हैं या छोटे-बड़ों के सामने करते हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि अगर हम अपने जीवन-व्यवहार की छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दिया करें तो हम अपनी छानबीन स्वयं करके, कई बुराईयों को छोड़ सकते हैं क्योंकि आपको नहीं पता है कि वे बातें आपके व्यक्तित्व को किस तरह अनजाने में ही चोट पहुंचा रही हैं। आपने किसी एक शब्द का 'तकिया कलाम' प्रयोग करने की आदत डाली है और आप उससे बेखबर हैं और कभी आपके मित्र या घरवालों ने आपको टोका या रोका नहीं तो आप अपने को किस तरह क्षति पहुंचा सकते हैं, इसे दो उदाहरणों से समझ लीजिए।

किसी प्रतियोगिता परीक्षा के ग्रुप डिस्कशन में आप शामिल हुए और आपने ताकिया कलाम का इस्तेमाल अनजाने में लगातार किया तो समझ लीजिए कि वहां बैठे विशेषज्ञों ने आपका एक 'माइनस प्वाइंट' नोट कर लिया है। दूसरा उदाहरण-यदि आप साक्षात्कार दे रहे हैं और बातचीत के दौरान बार-बार तकिया कलाम का प्रयोग कर रहे हैं, तो समझिए कि आपने अनजाने में ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।

यह तो मात्र एक उदाहरण था। आपकी आदत आंखें मिचकाने की है, बात करने के दौरान हाथ मटकाने की है या ऐसी ही कोई आदत या हरकत यदि आपके व्यक्तित्व या स्वभाव का अंग बन गई है, तो वह आपको, कब, कहां चोट पहुंचा देगी, आप नहीं जान पाएंगे। इसलिए जीवन व्यवहार, व्यक्तित्व, कार्य शैली आदि मामलों में छोटी-छोटी बातों पर पूरा ध्यान दीजिए। उनकी उपेक्षा न करें क्योंकि वे आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। उनको परखिए कि इससे आपको हानि हो सकती है या लाभ।

छोटी-छोटी बातों को महत्व देने का सिलसिला केवल कैरियर बनाने या नौकरी ढूंढने तक ही सीमित नहीं रहता। वास्तव में यह तो हमारे शेष जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण होना चाहिए। कारण यह है कि कौन-सी छोटी बात आपको कब उन्नति के शिखर पर पहुंचा देगी या कब आपको गर्त में गिरा देगी, आप नहीं जानते।

आपने किसी मित्र पर विश्वास करके यूं ही एक राइफल ए.के.47 रख ली। आपने इसे छोटी-सी बात समझा कि मित्र लाया था, रखने के लिए कहा, तो मैंने रख ली। जब उसे जरूरत होगी ले जाएगा। अचानक मित्र पकड़ा गया तथा उसके संबंधों और मित्रों को भी संदेह के घेरे में लेकर पूछताछ और तलाशी शुरू की गई।

जाहिर है आपके घर में अकारण ही बिना लाइसेंस की ए.के. 47 राइफल का बरामद होना पुलिस की नजर में आपके आतंकवादियों से संबंध को सिद्ध करने के लिए काफी है। आप कितनी भी सफाई दें, फिलहाल तो आप पुलिस और कानून की गिरफ्त में आ गए। अदालत जब फैसला करेगी, तब करेगी-लेकिन आप फिलहाल जेल जाएंगे। लीजिए, छोटी ही बात थी - जिसे आपने बहुत साधारण समझा था, उसने आपको जेल भिजवा दिया।

कहा गया है कि दुनिया में छोटी-से-छोटी चीज की भी उपेक्षा न करो। छोटी-सी चींटी हाथी जैसे विशाल जानवर को परेशान कर सकती है। छोटी-सी दीमक आपकी बड़ी-बड़ी लकड़ी की अलमारियों, कितबों के ढेर, बड़े-बड़े पेड़ों को चट कर सकती है। छोटा-सा मच्छर आपको रातों की नींद हराम कर सकता है। इसलिए कहा गया है कि छोटी की उपेक्षा न करो - चाहे वह वस्तु हो, जीव हो, घटना हो या और कुछ।

कहा भी है - 'जहां काम आवै सुई, क्या करे तलवार। इसलिए छोटी-छोटी बातों की उपेक्षा न करें। माचिस की छोटी-सी तीली जिस प्रकार भयानक अग्निकांड को जन्म देकर न जाने क्या-क्या नष्ट कर सकती है, उसी तरह हमारी छोटी-सी बुरी आदत हमारे लिए बड़ी घातक बन सकती है।'

(डायमंड बुक्स से प्रकाशित पुस्तक 'जीत सको तो जीत लो' से साभार।)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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