ईवीएम बचायेगी 10,000 टन कागज

By Staff
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EVM
नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल से इस बार के आम चुनाव में लगभग 10,000 टन कागज की बचत होगी, और इससे जंगलों की सुरक्षा होगी, जिन्हें कागज तैयार करने के लिए काट दिया जाता?

वर्ष 1999 के आम चुनाव में लगभग 7,700 टन कागज का इस्तेमाल बैलट पेपर छापने में किया गया था जबकि वर्ष 1996 के आम चुनाव में 8,800 टन कागज का इस्तेमाल किया गया था। मतदाताओं की संख्या में तेजी के साथ वृद्धि हुई है, लिहाजा अनुमान के मुताबिक इस बार के आम चुनाव में यदि ईवीएम का इस्तेमाल न किया जाए तो बैलट पेपर छापने में लगभग 10,000 टन से अधिक कागज खर्च करना पड़ेगा।

अप्रैल व मई में हो रहे आम चुनाव में मतदाता कुल 543 लोकसभा सीटों के लिए ईवीएम के जरिए अपना वोट डालेंगे।

ईवीएम के बारे में यहां कुछ रोचक जानकारियां दी गई हैं।

* भारत में पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल वर्ष 1982 में केरल के पारुर विधानसभा सीट के लिए आयोजित चुनाव में मात्र 50 मतदान केंद्रों पर किया गया था।

* केद्र सरकार के स्वामित्व वाली भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा ईवीएम का उत्पादन किया जाता है।

* ईवीएम विद्युत विहीन इलाके में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

* एक ईवीएम में अधिकतम 3,840 वोट दर्ज कराए जा सकते हैं।

* ईवीएम के जरिए मतदान उसी सूरत में कराया जा सकता है, जब प्रत्याशियों की संख्या 64 से अधिक न हो। उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा होने की स्थिति में बैलट पेपर और बैलट बॉक्स के जरिए मतदान संपन्न कराया जाता है।

* मतदान का परिणाम ईवीएम की मेमोरी चिप में स्थायी रूप से दर्ज हो जाता है। यह तभी हटता है, जब अगले किसी मतदान के लिए उसे सायास मिटाया जाता है। ईवीएम की बैटरी हटा देने के बाद भी ईवीएम की मेमोरी पर कोई असर नहीं पड़ता।

* वर्ष 2004 में देश में आयोजित आम चुनाव में कुल 10.75 लाख ईवीएम इस्तेमाल में लाए गए थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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