चुनाव के बाद तीसरे मोर्चे की अहमियत समझेंगे प्रणब : करात (लीड-3)

By Staff
Google Oneindia News

चटर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि तीसरे मोर्चे का गठन उनकी समझ से परे है। इस बारे में पूछे जाने पर करात ने कहा, "प्रणब मुखर्जी कहते हैं कि वे नहीं जानते कि तीसरा मोर्चा क्या है। चुनाव के बाद उन्हें यह भी पता चल जाएगा।"

करात ने सोमवार को पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा, "हमने किसी मोर्चे का गठन नहीं किया है। हम अपने सहयोगियों से चर्चा कर रहे हैं। चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए हम सभी सहयोगी दल एक हो जाएंगे। चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए तीसरा मोर्चा ही उभर कर सामने आएगा।"

तीसरे मोर्चे की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कम से कम 10 दल होते हैं। उन्होंने कहा कि वामपंथी दलों व उनके सहयोगियों ने कभी भी 'तीसरा मोर्चा' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर प्रचारित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा के आगामी चुनाव में भाजपा के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा। कर्नाटक और उड़ीसा में हुई हालिया साम्प्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए करात ने कहा कि हिंसा को बढ़ावा देने वाले राजनीतिक दल को देश कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए भाजपा सत्ता में नहीं आने वाली है।

करात ने कहा कि ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईएडीएमके) की प्रमुख जे. जयललिता से उनका निरंतर संपर्क बना हुआ है और वह गैर कांग्रेस एवं गैर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन में शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "एआईएडीएमके हमारे संपर्क में है। वे लोग यहां बैठक में नहीं हैं लेकिन हमारे निरंतर संपर्क में हैं।" रविवार को तीसरे मोर्चे की बैठक में जयललिता उपस्थित नहीं थीं लेकिन राज्य सभा में उनकी पार्टी के प्रतिनिधि वी. मैत्रेयन उसमें शरीक हुए थे।

मैत्रेयन ने हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती द्वारा आयोजित रात्रि भोज में हिस्सा नहीं लिया था। इस रात्रि भोज में तीसरे मोर्चे ने लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया था।

उन्होंने कहा कि केंद्र में यदि तीसरे मोर्चे की सरकार बनी तो सबसे पहले वह अमेरिका के साथ रक्षा सौदों को समाप्त करेगी। साथ ही वह भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते की फिर से समीक्षा करेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने अमीरों को फायदा पहुंचाने वाली नीतियों को अपनाया और विदेश नीति पर देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात किया है।

उन्होंने कहा, "संप्रग सरकार के कार्यकाल में देश की विदेश नीति के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात हुआ है। मनमोहन सरकार अपनी गुटनिरपेक्षता वाली विदेश नीति से पूरी तरह पलट गई।"

उन्होंने कहा कि सरकार ने यूरेनियम की कमी के नाम पर अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया जबकि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में यूरेनियम का पर्याप्त भंडार है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली का हवाला देते हुए करात ने कहा कि मनमोहन सरकार ने इसे मजबूत करने की बजाय कमजोर किया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि देश में मुठ्ठी भर अमीरों और बहुसंख्य गरीबों के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए संप्रग ही जिम्मेदार है।

प्रकाश करात ने देश की वित्तीय संस्थाओं को वैश्विक संकट से बचाने का श्रेय लेते हुए कहा कि वाम दलों के लगातार हस्तक्षेप से इन संस्थाओं को मजबूत बनाया रखा जा सका। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार अपने रास्ते पर चलती तो बीमा और पेंशन योजनाओं में निवेश की गई जनता की मेहनत की कमाई शेयर बाजर में डूब गई होती।

करात ने कहा, "हमारे कारण ही कोई निजी बैंक धराशायी नहीं हुआ।" उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में 74 फीसदी और बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश के प्रस्ताव को रोके जाने के कारण हुआ।

करात ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार चाहती थी कि बीमा व पेंशन कंपनियों अपना कुछ धन शेयर बाजार में निवेश करें। यदि ऐसा होता तो वह धन आज धुंआ में उड़ गया होता। उन्होंने कहा कि वित्तीय सेक्टर को बचाने, अर्थव्यवस्था को बचाने और लाखों लोगों की नौकरी और पेशा को बचाने के लिए उन्होंने ये कोशिशें की।

करात ने कहा, "हमने वैकल्पिक नीतियां घोषित की हैं और चाहते हैं कि नया सरकार उनका अनुकरण करे। हमें गैर-भाजपा व गैर-कांग्रेसी वैकल्पिक सरकार की जरूरत है। हम देश में एक वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष सरकार चाहते हैं।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X