नवाज़ शरीफ़ हुए नज़रबंद
इसके पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी ने सरकार की पहल को ठुकरा दिया था. पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज़ के नेता ख्वाजा मोहम्मद आसिफ़ ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी का भरोसा राष्ट्रपति ज़रदारी से उठ गया है. पार्टी इसके पहले तीन बार अपना हाथ जला चुकी है.
सरकार
मुझे
गिरफ़्तार
करे,
नज़रबंद
करे,
पाबंदियाँ
लगाए,
ये
लाँग
मार्च
नहीं
रुकेगा
और
अंजाम
तक
पहुँच
कर
रहेगा
नवाज़
शरीफ़
उनका
कहना
था
कि
राष्ट्रपति
ज़रदारी
से
बातचीत
नहीं
हो
सकती
है.
दूसरी ओर नवाज़ शरीफ़ ने शनिवार को एक रैली में कहा,'' सरकार मुझे गिरफ़्तार करे, नज़रबंद करे, पाबंदियाँ लगाए, ये लाँग मार्च नहीं रुकेगा और अंजाम तक पहुँच कर रहेगा.''
इसके पहले पाकिस्तान में चल रहे राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए सरकार ने पहल की थी. सरकार का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले की समीक्षा के लिए अपील करेगी जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और शाहबाज़ शरीफ़ को किसी भी निर्वाचित पद पर काम करने से रोक लगा दी गई थी.
राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के प्रवक्ता फ़रतुल्लाह बाबर ने एक बयान में कहा, " पाकिस्तान सरकार नवाज़ शरीफ़ और शाहबाज़ शरीफ़ पर प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ समीक्षा याचिका दायर करेगी."
सरकार की पहल
बयान
में
कहा
गया
है
कि
प्रधानमंत्री
यूसुफ़
रज़ा
गीलानी
और
राष्ट्रपति
आसिफ़
अली
ज़रदारी
के
बीच
बैठक
में
ये
फ़ैसला
हुआ.
पाकिस्तान
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
25
फरवरी
को
अपने
फ़ैसले
में
पूर्व
प्रधानमंत्री
और
पाकिस्तान
मुस्लिम
लीग
(नवाज़)
के
प्रमुख
नवाज़
शरीफ़
और
उनके
भाई
शाहबाज़
शरीफ़
के
किसी
भी
निर्वाचित
पद
पर
काम
करने
से
रोक
लगा
दी
थी.
पाकिस्तान
सरकार
नवाज़
शरीफ़
और
शाहबाज़
शरीफ़
पर
प्रतिबंध
के
सुप्रीम
कोर्ट
के
फ़ैसले
के
ख़िलाफ़
समीक्षा
याचिका
दायर
करेगी
राष्ट्रपति ज़रदारी के प्रवक्ता
राष्ट्रपति ज़रदारी और प्रधानमंत्री गीलानी के बीच इस बात पर भी सहमति हुई कि परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल के दौरान बर्ख़ास्त किए गए जजों की बहाली का मामला 'लोकतंत्र के चार्टर' के तहत हल किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ज़रदारी की पत्नी बेनज़ीर भुट्टो और नवाज़ शरीफ़ ने वर्ष 2006 में इस चार्टर पर हस्ताक्षर किया था.
दोनों नेताओं ने यह वादा किया था कि देश में लोकतंत्र बहाल किया जाएगा, टकराव से बचने की कोशिश होगी और राजनीति में सेना की भूमिका को ख़त्म किया जाएगा.
पाकिस्तान में इस समय विरोध प्रदर्शनों का दौर चल रहा है और वहाँ की स्थिति काफ़ी तनावपूर्ण बनी हुई है. देशभर में वकील और राजनीतिक कार्यकर्ता ये मांग कर रहे हैं बर्ख़ास्त किए गए जजों को बहाल किया जाए. नवाज़ शरीफ़ की पार्टी भी इस मांग का समर्थन कर रही है.
विरोध मार्च के आयोजक 16 मार्च को राजधानी इस्लामाबाद में महारैली और संसद के बाहर धरना देना चाहते हैं. सरकार इस विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश कर रही है.