गांधी की वस्तुएं वापस चाहते है ओटिस
एक विवादास्पद नीलामी के दौरान भारतीय उद्योगपति विजय माल्या ने इन वस्तुओं को 18 लाख डॉलर में खरीदा था। जबकि भारत सरकार यह दावा कर रही है कि उसने माल्या के माध्यम से यह चीजें खरीदीं हैं लेकिन माल्या का कहना है कि उन्होंने अपनी मर्जी से यह चीजें खरीदी हैं।
ओटिस ने कहा, "भारत में इसपर राजनीति हो रही है। इन वस्तुओं को इस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है जो किसी भी तरह से गांधीवादी नहीं है।" इसी महीने की पांच तारीख को महात्मा गांधी के चश्मे, पॉकेट घड़ी, चप्पलें, कटोरा और प्लेट को नीलाम किया गया था।
ओटिस के वकील रवि बत्रा ने कहा कि नीलामी घर एंटीक्योरम ऑक्सनीर्स ने जिस तरीके से नीलामी की है वह गलत है और इसके लिए उन्होंने नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा कि नीलामी घर से वह कहेंगे कि ओटिस इस बिक्री पर अपनी मुहर नहीं लगाएंगे।
ओटिस की मुहर के बिना नीलामी घर खरीददार को केवल इन वस्तुओं को रखने का अधिकार दे सकता है लेकिन मालिकाना हक नहीं बदल सकता। नियमानुसर यदि बिक्रेता अपना मन बदल लेता है तो नीलामी घर केवल खर्च का दावा ठोक सकता है।
ज्ञात हो कि गांधी की इन वस्तुओं की नीलामी से कुछ समय पहले ओटिस ने इसे रोकने को कहा था लेकिन नीलामी घर ने नियमों की दुहाई देते हुए इसे नहीं रोका था।
बत्रा ने कहा कि ओटिस ने पांच मार्च की नीलामी से पहले ही एंटीक्योरम को पत्र भेज दिया था। उन्होंने इस संबंध में एक संवाददाता सम्मेलन भी की जिसका उद्देश्य संभावित खरीददार को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर अमेरिकी न्याय विभाग की नोटिस की ओर ध्यान खींचा गया था।
इन वस्तुओं को वापस हासिल करने के लिए न्यूयार्क स्टेट सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर बत्रा ने कहा कि नीलामी घर हमारी नोटिस पर क्या जवाब देता है यह इसपर निर्भर करेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।