श्रीलंका ने नागरिकों के मारे जाने संबंधी संयुक्त राष्ट्र के आरोप नकारे (लीड-1)
कोलंबो, 14 मार्च (आईएएनएस)। श्रीलंका ने हाल के हफ्तों में अपने उत्तरी हिस्सों में जारी लड़ाई में 2,800 नागरिकों के मारे जाने के संयुक्त राष्ट्र के आरोपों का खंडन करते हुए उसके इन आंकड़ों को निराधार बताया है।
श्रीलंका के मानवाधिकार मंत्री महिंदा समरसिंघे ने यहां शनिवार को संवाददाताओं को बताया, "इस बयान से हम बेहद निराश और हताश हुए हैं। यह बयान कथित तौर पर विश्वसनीय सूत्रों पर आधारित है और इसमें संघर्षरत क्षेत्रों में नागरिकों के हताहत होने के बारे में बेबुनियाद आंकड़े दिए गए हैं।"
मंत्री ने इन आरोपों को गलत बताया कि सरकारी सुरक्षा बल नागरिकों के लिए चिह्न्ति किए गए 'सुरक्षित क्षेत्रों' में भारी गोलाबारी कर रहे हैं। उन्होंने शिकायत की कि मानवाधिकारों से संबद्ध संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त नवी पिल्लै का यह एकपक्षीय बयान बिना किसी से परामर्श किए और श्रीलंका सरकार का पक्ष लिए बगैर जारी किया गया है।
समरसिंघे ने कहा, "हमारे सुरक्षा बलों ने कभी भी नागरिकों को निशाना नहीं बनाया और वे ऐसा कभी नहीं करेंगे।"
पिल्लै ने जेनेवा में कड़ा बयान जारी करते हुए कहा था कि सरकार द्वारा नागरिकों के सुरक्षित क्षेत्र चिह्न्ति किए जाने के बावजूद वहां लगातार गोलाबारी हो रही है।
पिल्लै ने बयान में कहा था, "विश्वसनीय सूत्रों से संकेत मिला है कि 20 जनवरी के बाद से वहां 2800 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं और 7000 से ज्यादा घायल हो गए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग सुरक्षित क्षेत्रों में मारे गए हैं। इनमें बच्चों की तादाद भी सैकड़ों में है।"
समरसिंघे ने पत्रकारों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा सचेत करने वाली बात यह है कि यह आंकड़े तमिलनेट और लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम(लिट्टे)के अन्य संगठनों और व्यक्तियों के द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्होंने कहा,"आंकड़ों की बात इस तरह नहीं की जा सकती। यह निराधार आंकड़े हैं और हम इनसे सहमत नहीं है।" मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिल्लै से पिछले सप्ताह जेनेवा में बातचीत की थी और उस दौरान उन्होंने यह मसला बिल्कुल नहीं उठाया।
मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के बयान में लिट्टे से बंधक बनाकर रखे गए नागरिकों को मुक्त करने की बात नहीं की गई है।
श्रीलंका सरकार तमिल विद्रोहियों पर करीब 7000 नागरिकों को बंधक बनाकर उनका इस्तेमाल ढाल के रूप में करने का आरोप लगाती रही है।
संयुक्त राष्ट्र के बयान में कहा गया है कि 150,000 से 180,000 नागरिक लिट्टे के कब्जे वाले इलाके में हैं। उसमें कहा गया है कि लिट्टे सिर्फ नागरिकों को ढाल के रूप में ही इस्तेमाल नहीं कर रहा है बल्कि उस इलाके को छोड़कर जाने की कोशिश करने वाले नागरिकों की हत्या भी कर रहा है।
समरसिंघे ने कहा कि सरकार इस बयान के बारे में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय से बातचीत करेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।