पाकिस्तान में गंभीर संकट, जरदारी को दिया गया 24 घंटे का समय (लीड-2)
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी पहली बार शुक्रवार को सक्रिय हुए। तेहरान में एक क्षेत्रीय बैठक से हिस्सा लेकर बुधवार को स्वदेश लौटे जरदारी से उन्होंने पहली बार मुलाकात की।
राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने कहा कि जरदारी और कयानी के बीच देश में उपजे क्षेत्रीय और प्रशासनिक मुद्दों तथा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई।
पाकिस्तान की एक न्यूज वेबसाइट के अनुसार वाशिंगटन, लंदन और सेना द्वारा समर्थित एक नए समझौते के मसौदे के तहत जरदारी के लिए 24 घंटे की समय सीमा निर्धारित की गई है।
वेबसाइट ने लिखा है, "वाशिंगटन, लंदन और सेना द्वारा समर्थित नए मसौदे के बारे में गिलानी को अवगत करा दिया गया है कि वे पाकिस्तान में राजनीतिक तापमान को कम करने की कोशिश करें।"
सूत्रों के अनुसार इस मसौदे के तहत गिलानी को कहा गया है कि वह जरदारी को तत्काल इस बात के लिए तैयार करें कि वकीलों का लंबा मार्च इस्लामाबाद पहुंचे, उसके पहले उन्हें वकीलों के साथ बातचीत करनी चाहिए और नरम रवैया अपनाना चाहिए।
उधर वकीलों ने अपना आंदोलन जारी रखने की बात दोहराई है।
सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ऐतजाज अहसान ने कहा है, "मुझे आंदोलन समाप्त करने के मद्देनजर किसी बातचीत के निमंत्रण के बारे में कोई जानकारी नहीं है।"
उधर, हजारों की संख्या में वकीलों ने गुरुवार को सिंध, बलूचिस्तान और पंजाब से अपना लंबा मार्च शुरू कर दिया। वकीलों का मार्च संसद पर धरने के लिए 16 मार्च को इस्लामाबाद पहुंचेगा। ये वकील पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासनकाल के दौरान नवंबर 2007 में पद से हटाए गए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की फिर से बहाली की मांग कर रहे हैं।
उधर पुलिस ने वकीलों का आंदोलन तोड़ने के लिए 750 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि जरदारी समझौते को स्वीकार नहीं करते हैं तो सेना और गिलानी को आगे बढ़ना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, "गेंद अब जरदारी के पाले में है। ताकतवर अंतर्राष्ट्रीय नेताओं द्वारा तैयार किए गए समझौते के मसौदे को लागू करने के मामले में अब उन्हें ही फैसला करना है।"
उधर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वकीलों के इस आंदोलन से जुड़ गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने बुधवार को इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री गिलानी से मुलाकात की थी और 90 मिनट की अपनी बातचीत के दौरान उनसे समझौते को अमल में लाने के लिए कहा था।
रिपोर्ट के अनुसार यदि जरदारी नए समझौते को स्वीकार नहीं करते हैं तो राष्ट्रपति कार्यालय को हाशिए पर धकेल कर उन्हें सत्ताच्युत कर दिया जाएगा और राष्ट्रपति के सारे अधिकार प्रधानमंत्री कार्यालय को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, समझौते में यह भी शामिल है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ सरकार में शामिल होंगे और पद से हटाए गए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी को फिर से बहाल किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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