जरदारी को 24 घंटे का समय, कयानी ने उनसे मुलाकात की (लीड-1)
राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने कहा कि जरदारी और कयानी के बीच देश में उपजे क्षेत्रीय और प्रशासनिक मुद्दों तथा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई।
पाकिस्तान की एक न्यूज वेबसाइट के अनुसार वाशिंगटन, लंदन और सेना द्वारा समर्थित एक नए समझौते के मसौदे के तहत जरदारी के लिए 24 घंटे की समय सीमा निर्धारित की गई है।
वेबसाइट ने लिखा है, "वाशिंगटन, लंदन और सेना द्वारा समर्थित नए मसौदे के बारे में गिलानी को अवगत करा दिया गया है कि वे पाकिस्तान में राजनीतिक तापमान को कम करने की कोशिश करें।"
सूत्रों के अनुसार इस मसौदे के तहत गिलानी को कहा गया है कि वह जरदारी को तत्काल इस बात के लिए तैयार करें कि वकीलों का लंबा मार्च इस्लामाबाद पहुंचे, उसके पहले उन्हें वकीलों के साथ बातचीत करनी चाहिए और नरम रवैया अपनाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, "गेंद अब जरदारी के पाले में है। ताकतवर अंतर्राष्ट्रीय नेताओं द्वारा तैयार किए गए समझौते के मसौदे को लागू करने के मामले में अब उन्हें ही फैसला करना है।"
उधर, हजारों की संख्या में वकीलों ने गुरुवार को सिंध, बलूचिस्तान और पंजाब से अपना लंबा मार्च शुरू कर दिया। वकीलों का मार्च संसद पर धरने के लिए 16 मार्च को इस्लामाबाद पहुंचेगा। ये वकील पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासनकाल के दौरान नवंबर 2007 में पद से हटाए गए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की फिर से बहाली की मांग कर रहे हैं।
उधर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वकीलों के इस आंदोलन से जुड़ गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने बुधवार को इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री गिलानी से मुलाकात की थी और 90 मिनट की अपनी बातचीत के दौरान उनसे समझौते को अमल में लाने के लिए कहा था।
रिपोर्ट के अनुसार यदि जरदारी नए समझौते को स्वीकार नहीं करते हैं तो राष्ट्रपति कार्यालय को हाशिए पर धकेल कर उन्हें सत्ताच्युत कर दिया जाएगा और राष्ट्रपति के सारे अधिकार प्रधानमंत्री कार्यालय को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*