तीसरा मोर्चा गठित, कांग्रेस व भाजपा ने कहा चिता की बात नहीं (राउंडअप)

By Staff
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दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस ने कहा है कि तीसरे मोर्चे के गठन से उनकी चुनावी रणनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दोनों पार्टियों ने टिप्पणी की कि नवगठित मोर्चा बहुत दिनों तक टिक नहीं पाएगा।

रैली का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल-सेक्यूलर के नेता एच.डी. देवेगौड़ा ने किया। रैली को संबोधित करते हुए देवेगौड़ा ने लोगों से आगामी आम चुनावों में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष सरकार चुनने की अपील की।

रैली में क्षेत्रीय पार्टियों तथा चार वामपंथी दलों के नेताओं ने लोगों से अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सरकार चुनने को कहा।

रैली को संबोधित करते हुए माकपा नेता प्रकाश करात ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब सभी लोकतांत्रिक , धर्मनिरपेक्ष और वाम दल एक साथ तीसरे मोर्चे की घोषणा कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि देश की जनता गैर कांग्रेस और गैर भाजपा सरकार चाहती है।

माकपा महासचिव ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए और सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष के लिए यह एक मंच है।

करात ने कहा, "आज हम एक साथ हैं क्योंकि देश को एक विकल्प चाहिए। वर्ष 1996 में ही जनता ने समझ लिया था कि देश का भविष्य कांग्रेस या भाजपा के हाथों में नहीं है। "

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ए.बी.बर्धन ने कहा, "हम सत्ता का नहीं बल्कि नीतियों और कार्यक्रमों का विकल्प हैं। हम सबका एक साथ आना अचानक नहीं है। पिछले दो वर्षो से इसके लिए जमीनी स्तर पर काम चल रहा था।"

बर्धन ने उम्मीद जताई की भाजपा से अलग हो चुके उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक शीघ्र ही तीसरे मोर्चे में शामिल होंगे।

बसपा नेता सतीश मिश्र ने कहा, "हम तीसरा विकल्प नहीं हैं। अच्छी अर्थव्यवस्था और स्वतंत्र विदेश नीति देने के लिए हम एकमात्र विकल्प हैं।"

जनसभा में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक, तेलुगूदेशम पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, अन्ना द्रमुक और हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

उधर कांग्रेस कार्य समिति सदस्य और महासचिव वी. नारायण सामी ने कहा, "निश्चित रूप से यह मोर्चा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के लिए खतरा नहीं है। वे केवल सत्ता के लिए एकजुट हुए हैं। यह गठबंधन लंबे समय तक टिक नहीं पाएगा।"

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, "चुनाव के बाद यह गठबंधन नजर नहीं आएगा। इस गठबंधन में शामिल दल या तो संप्रग के साथ या फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ मिल जाएंगे।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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