बाघ का पता नहीं और दो बाघिन पहुंची पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
इतना जरूर कहा जा रहा है कि अगर बाघ नहीं मिले तो बाघिनों की ही तरह बाघों को भी पन्ना लाने की कोशिशें की जाएंगी। दुनिया में मध्य प्रदेश की पहचान टाइगर स्टेट (बाघ राज्य) के तौर पर है। ऐसा हो भी क्यों न, दुनिया के 10 प्रतिशत और भारत के 19 फीसदी बाघ जो इस राज्य में हैं। वन विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2003 में प्रदेश में 712 बाघ हुआ करते थे। आज स्थिति क्या है इसका खुलासा करने से हर कोई कतराता है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की हालत तो जैसे बाघ विहीन उद्यान की हो चली है। गाहे बगाहे एक नर बाघ का दावा किया जाता रहा है। यही कारण है कि इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए दो बाघिनों को लाया गया है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक एल़ क़े चौधरी तो बाघ की स्थिति पर चर्चा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
पन्ना पहुंची दो बाघिनों में से एक को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से सड़क मार्ग से और दूसरी को कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से वायु मार्ग से लाया गया। इन दोनों बाघिनों को अभी विशेष तौर पर बनाए गए बाड़े में रखा गया है। इन बाड़ों में क्लोज सर्किट कैमरे लगाकर उन पर नजर रखी जा रही है। साथ ही दोनों बाघिनों को रेडियोकॉलर भी लगाए गए हैं।
दोनों बाघिनों को पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या बढाने के मकसद से लाया गया है। मजे की बात यह है कि लंबे अरसे से नर बाघ ही इस राष्ट्रीय उद्यान में नजर नहीं आया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) डॉ़ एच़ एस़ पावला की बात मान ली जाए तो 14 फरवरी को ऐसे निशान मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि नर बाघ पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में है।
पन्ना पहुंचे पावला से पत्रकारों ने जब बाघ के न दिखने का जिक्र करते हुए जानना चाहा कि ऐसी स्थिति में बाघिन से क्या लाभ होगा तो उन्होंने कहा कि अगर बाघ नहीं मिलता है तो बाघिनों की ही तरह बाघ भी पन्ना लाए जाएंगे। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वन विभाग इसके लिए कब तक इंतजार करेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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