भारत में तिब्बतियों के 50 वर्ष पूरे
मैक्लियॉडगंज (हिमाचल प्रदेश), 9मार्च (आईएएनएस)। तिब्बतियों को भारत में शरण लिए 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। अपने आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के साथ 'दुनिया की छत' कहलाने वाले पैतृक स्थान तिब्बत को छोड़कर यहां चले आए हजारों तिब्बतियों के लिए भारत ही उनका घर सरीखा है।
हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रेणी में हिमाचल प्रदेश में तिब्बतियों के चौदहवें दलाई लामा का निवास स्थल विश्व के मानचित्र पर भले ही बहुत छोटी सी जगह हो। परंतु चीन और भारत जैसे शक्तिशाली देशों और संयुक्त राष्ट्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है।
दलाई लामा और हजारों तिब्बतियों के यहां रहने के कारण यह स्थान अपने आप में एक छोटा ल्हासा ही है। वर्ष 1959 में भारत पहुंचने के बाद से ही यह स्थान 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा का निवास स्थान है।
पूरी दुनिया में निर्वासित जीवन बिता रहे करीब 140,000 तिब्बतियों में से 10,000 से ज्यादा यहां निवास करते हैं।
भारत में तिब्बतियों के अन्य निवास स्थान कर्नाटक, दिल्ली,उत्तराखंड, सिक्किम और अन्य राज्यों में हैं। तिब्बत की निर्वासित सरकार को किसी भी राष्ट्र ने मान्यता नहीं दी है।
अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ,हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेर और पियर्स ब्रासनन भी मैक्लाडगंज के दौरे पर आ चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।