योग के मसले पर भारतीय उलेमाओं के मुरीद हैं इंडोनेशियाई विद्वान

By Staff
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राजधानी जकार्ता में सेंटर ऑफ मल्टीफेथ के निदेशक सलमान हारून ने आईएएनएस से कहा, "मैं भारतीय इस्लामिक विद्वानों की उस तर्क से सहमत हूं कि योग इस्लाम विरोधी नहीं है। इसीलिए मैं यह कहता रहा हूं कि योग सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली का एक माध्यम है।"

बाली में पिछले सप्ताह आयोजित बाली-इंडिया योग समारोह में उन्होंने कहा कि योग के खिलाफ फतवा देने वाले इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल (एमआईयू) यहां बहुसंख्यक मुसलमानों की अगुवाई नहीं करता है। एमयूआई ने इसी वर्ष जनवरी में योग के खिलाफ फतवा जारी किया था।

इस्लाम के विद्वान स्टेफेन डेनेरेक का कहना है कि नमाज अदा करने के तरीकों और योग में समानता दिखती है। ऐसे में इन दोनों में कोई भी कई समानताएं ढूंढ़ सकता है। एमयूआई के फतवे की कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है।

फातिमा अंद्रियानी एक स्थानीय मुस्लिम महिला हैं और वह नियमित योगाभ्यास करती हैं। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मैं एक पक्की मुसलमान हूं और मैं सेहतमंद रहने के लिए योगाभ्यास करती हूं। योग पर प्रतिबंध लगना मेरे लिए चौंकाने वाला है क्योंकि योग के आसन करने से इस्लाम के प्रति मेरी आस्था में कोई कमी नहीं आई है।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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